बहरोड़ (अलवर). 11 दिसम्बर को पोरबंदर से शुरू होकर 21 मार्च को कुरूक्षेत्र में समापन होने वाली ग्रीन वाल ऑफ इंडिया के तहत हरित पदयात्रा बहरोड पहुंची. इस दौरान ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने होटल में मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या का दंश पूरा विश्व झेल रहा है लेकिन, भारत में बढ़ते प्रदूषण से हो रहे प्राकृतिक असंतुलन के निदान हेतु व्यवहारिक योजनाओं का अभाव दिखाई दे रहा है.
बहरोड़ में पहुंची हरित पदयात्रा देश में आज पर्यावरण आपातकाल की स्थिति है, सांसो का अकाल पड़ रहा है, जिसका मूल कारण घटती हरियाली ही है. क्योंकि सांस बनाने के कारखाने माने जाने वाले वृक्ष कम हो रहे हैं. पानी बोतल की तरह ऑक्सीजन सिलेंडर साथ लेकर चलने की नौबत आ गई है, जिसका निदान अब केवल 'ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया' बनाने से ही संभव है, जो अरावली पर्वतमाला का कवच बनकर पश्चिमी विक्षोभ के वायु दबाव में आने वाली रेगिस्तान की धूल को रोकने का काम करेगी.
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गुजरात से दिल्ली और हरियाणा तक 'ग्रीनवॉल' विकसित कराने की मांग रखने वाले और पदयात्रा के नेतृत्वकर्ता ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने यात्रा के 75 दिन पूरे होने पर अलवर जिले में प्रवेश कर बहरोड़ के दिल्ली जयपुर हाइवे एक्सप्रेस होटल में प्रवास करने पर आयोजित मीडिया संवाद में ये विचार व्यक्त किये.
बघेल ने बताया कि पोरबंदर से लेकर कुरुक्षेत्र तक 16 सौ किलोमीटर लंबी और 5 किलोमीटर मीटर चौड़ी 'ग्रीन वैली' विकसित कराए जाने की मांग संयुक्त राष्ट्र संघ समक्ष COP - 14 के माध्यम से उठाई गई थी, जिस पर भारत सरकार विचार कर रही है. 11 दिसंबर के दिन दुनिया 'विश्व पर्वत दिवस' मनाती है उस दिन अरावली पर्वत श्रंखला के अस्तित्व की रक्षा करने और 'ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया' बनवाने की मांग को लेकर 'ग्लोबल ग्रीन पीस मिशन' के तत्वाधान में '5 करोड़ी हरित पगयात्रा' का शुभारंभ गुजरात के पोरबंदर से हुई है, यह 100 दिवसीय पदयात्रा 4 राज्यों के 28 जिलों से गुजर रही है जो अलवर जिले से होकर जा रही है. इस राष्ट्रीय पद यात्रा का समापन 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में होगा.
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उन्होंने बताया कि 11 दिसंबर को गुजरात के पोरबंदर में 'ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया' का भूमि पूजन भारत के राष्ट्रीय वृक्ष बरगद का रोपण करके किया गया तथा जहां-जहां यात्रा का प्रवास रह रहा है उन स्थानों पर स्मृति के रूप में प्रतीकात्मक पौधारोपण किया जा रहा है. जन जागरूकता और जन सहभागिता के उद्देश्य से ही इस अनूठी पहल को 'हरित साधना' के रूप में संचालित किया जा रहा है, जो देश की सेहत सुधारने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाएगी.