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Special : अलवर में कोरोना संक्रमित मरीजों में डर ! टेलीमेडिसिन का भी नहीं ले पा रहे लाभ

अलवर जिले में कोरोना का प्रभाव तेजी से अपने पैर पसार रहा है. संक्रमित मरीजों का आंकड़ा जिले में 26 हजार के पार हो चुका है और 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इन दिनों डॉक्टर्स भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, जिसकी वजह से मरीजों को सही उपचार भी नहीं मिल रहा है. जिले में स्थित राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में टेलीमेडिसिन की सेवा चलती है, लेकिन उसका लाभ भी सभी को नहीं मिल रहा. देखिये अलवर से ये रिपोर्ट...

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अलवर में कोरोना संक्रमित मरीजों में डर

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Published : Dec 14, 2020, 9:13 PM IST

अलवर: जिले में कोरोना का प्रभाव तेजी से अपने पैर पसार रहा है. कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा जिले में 26 हजार के पार हो चुका है. वहीं अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जिले के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में कोरोना से पहले जहां 4 हजार मरीज OPD में इलाज के लिए आते थे, अब ये संख्या घटकर 2 के करीब हो गई है.

अलवर में कोरोना संक्रमित मरीजों में डर

राजीव गांधी सामान्य अस्पताल अलवर जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां कोरोने काल से पहले उपचार के लिए 4 हजार से ज्यादा मरीज हर दिन आते थे. अलवर के अलावा यहां मेवात, दौसा, भरतपुर और हरियाणा तक के लोग इलाज के लिए आते हैं. इसी तरह से अस्पताल के वार्डों में 500 से अधिक मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं. जयपुर के एसएमएस अस्पताल के बाद सबसे ज्यादा मरीज अलवर के सामान्य अस्पताल में रहते हैं.

शुरुआत में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज भी सरकारी अस्पताल में हो रहा था. ऐसे में अन्य बीमारी के मरीज अस्पताल से दूर रहने लगे. इससे बुजुर्ग और अन्य लंबी बीमारियों के मरीजों को खासी दिक्कत हुई. मरीजों को होने वाली परेशानी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों को कोविड फ्री किया. अस्पताल परिसर से दूर कोरोना की जांच की जाने लगी, साथ ही कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए भी अलग से भवन चिन्हित किया गया, लेकिन सामान्य अस्पताल के ICU में अब भी कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं.

अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी महीने में 58 हजार 886 मरीज ओपीडी में पहुंचे. फरवरी महीने में उनकी संख्या बढ़कर 65 हजार 464 हो गई. मार्च में उनकी संख्या बढ़कर 62 हजार 392 हुई, लेकिन कोरोना के चलते अप्रैल महीने में सामान्य अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या महज 26 हजार 700 रह गई. इस तरह से मई महीने में 32 हजार 372, जून में 37 हजार 932, जुलाई में 48 हजार 700, अगस्त में 35 हजार 973, सितंबर में 47 हज़ार 30, अक्टूबर में 49 हजार 79 व नवंबर में 37 हजार 255 मरीज इलाज के लिए राजीव गांधी सामान्य अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे.

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मरीजों की संख्या से साफ है कि सामान्य अस्पताल में लगातार इन मरीजों की संख्या कम हो रही है. कोरोना के डर से लोग सरकारी अस्पताल में आने से बच रहे हैं. इसका नुकसान मरीजों को हो रहा है. मजबूरी में मरीज इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जा रहे हैं. हालांकि अस्पताल प्रशासन की माने तो अस्पतालों को कोविड फ्री कर दिया गया है, लेकिन उसके बाद भी लोगों में कोरोना का डर खासा देखने को मिल रहा है. डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इस दौरान हॉस्पिटल का कामकाज भी खासा प्रभावित हो रहा है.

कोरोना के मरीजों की वजह से ऑपरेशन वॉर्ड भी प्रभावित हुए. ऐसे में अस्पताल प्रशासन की तरफ से ऑपरेशन प्रक्रिया बंद कर दी गई है. केवल इमरजेंसी ऑपरेशन अस्पताल में इन दिनों हो रहे हैं. इन दिनों से दिनों सभी विभागों के मिलाकर करीब 20 ऑपरेशन ही होते हैं. ऑपरेशन बंद होने से मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.

अलवर में नहीं मिला टेलीमेडिसिन का लाभ...

जिले में स्थित राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में टेलीमेडिसिन की सेवा चलती है, लेकिन उसका लाभ केवल राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में आने वाले मरीजों को ही मिलती है. टेडी मेडिसन के माध्यम से जयपुर में बैठे डॉक्टर अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों की रिपोर्ट देखकर दवाएं दिखते हैं. टेलीमेडिसिन का लाभ लेने वाले मरीजों की संख्या काफी कम है.

सरकारी अस्पताल में नहीं मिलते डॉक्टर...

राजीव गांधी अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी के चलते मरीजों को दिक्कत होती है. इलाज के लिए मरीज अस्पताल में चक्कर लगाते हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं मिलते. कुछ डॉक्टर कोरोना की ड्यूटी में लगे हुए हैं जबकि कुछ कोरोना संक्रमित भी हुए हैं. यही वजह है कि मरीजों को सही उपचार नहीं मिल रहा है.

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