अलवर. देश में नासिक के बाद सबसे ज्यादा प्याज की आवक अलवर की मंडी में होती है. अलवर के प्याज की देश-विदेश में सप्लाई होती है. इन दिनों शुरुआत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश की प्याज खराब होने के चलते अलवर की प्याज की डिमांड थी. शुरुआत के समय में प्याज के रिटेल में दाम 80 रुपए किलो थे. इससे किसान को फायदा हो रहा था लेकिन अब किसान को अपनी लागत और मेहनत का पैसा भी नहीं मिल रहा है.
अलवर की मंडी में इस समय प्रतिदिन 40 से 50 हजार कट्टे प्याज की आवक हो रही है. नासिक के बाद देश में दूसरी सबसे बड़ी प्याज की मंडी अलवर है. बीते साल किसान को प्याज के बेहतर दाम मिले थे. इसलिए इस बार 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसान ने लाभ के उम्मीद से प्याज की बुवाई की.
वहीं इस साल बारिश के चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश की प्याज खराब हो गई थी. ऐसे में अलवर के किसानों को प्याज की फसल से खासी उम्मीदें थी. शुरुआत में किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे थे. बाजार में प्याज 80 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही थी और किसान को 35 से 40 रुपए किलो तक प्याज के भाव मिल रहे थे. किसानों को प्याज के दाम और बढ़ने की उम्मीद थी. इसलिए बड़ी संख्या में किसानों ने अपने गांव में प्याज का स्टॉक कर लिया लेकिन अचानक प्याज के दामों में भारी गिरावट आई है.
इस समय अलवर मंडी में प्याज थोक रेट में 12 से 17 रुपए तक बिक रही है. ऐसे में किसान को प्याज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. किसानों की माने तो एक बीघा प्याज की फसल की बुवाई में 50 से 60 हजार रुपए का खर्च आता है. लेकिन प्याज के मिल रहे दामो में किसान का खर्चा भी नहीं निकल रहा है.
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किसानों का कहना है कि सरकार को किसानों के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए. महंगे दामों पर किसान को प्याज के बीज मिलते हैं. उसके बाद पानी खरीद कर खेती करनी पड़ती है. साथ ही फसल में बुवाई और कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता होती है. इन सब में खासा खर्चा होता है. इस दौरान फसल में खाद डालनी पड़ती है. किसान की माने तो सरकार को बाजार में प्याज का एक निर्धारित मूल्य रखना चाहिए. साथ ही सरकार को प्याज की खरीदी करनी चाहिए. जिससे किसान को नुकसान होने पर उसकी भरपाई हो सके.
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