अलवर.सरिस्का में मगरमच्छों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों को प्रतिदिन मगरमच्छों की साइटिंग होती है. ये देखकर पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं. शुक्रवार को भी 11 मगरमच्छ अपने बच्चों के साथ दिखाई दिए थे. मगरमच्छ का कुनबा बढ़ने से सरिस्का को भी फायदा हो रहा है.
सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि सरिस्का के करना का बास एनीकट में मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है. दिन के समय एनीकट के आसपास मिट्टी में मगरमच्छ नजर आते हैं. एक मगरमच्छ की औसत लंबाई 5 से 7 फीट थी. सर्दी के मौसम में मगरमच्छ अंडे देते हैं और मिट्टी में दबा देते हैं. सर्दी के मौसम में मगरमच्छ सन बाथ के लिए पानी से बाहर आते हैं. मगरमच्छ खुद अपने अंडों की देखभाल करते हैं. जब बच्चे अंडे से निकलते हैं तो आवाज करते हैं. मगरमच्छों के बच्चों की आवाज सुनकर मादा मगरमच्छ मिट्टी हटाकर बच्चों को बाहर निकालती है और अपने मुंह में दबाकर सीधा पानी में ले जाती है.
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मगरमच्छों की खासियत : उन्होंने बताया कि मगरमच्छ एक बार में लगभग 20 से 80 अंडे देते हैं. वो अपने शिकार की हड्डियां, सींग आदि आसानी से चबा लेते हैं और ये सिर्फ मांस खाते हैं. भोजन को पचाने के लिए यह कई बार पत्थर भी खा लेते हैं. मगरमच्छ हर 2 मिनट में एक बार दो बार सांस लेते हैं. इनके मुंह में 24 दांत होते हैं, जो काफी नुकीले होते हैं. इनका जबड़ा भी मजबूत होता है. इसके बावजूद ये अपने शिकार को चबाने के स्थान पर निगलना पसंद करते हैं. मगरमच्छ अपने शिकार को जिंदा रहते खाते. उसे खींच कर पानी में ले जाते हैं, ताकि पानी में डूब कर उसकी जान चली जाए. इसके बाद उसके उसका भोजन करते हैं.
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सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि मगरमच्छ की दृष्टि तीव्र होती है. रात में भी ये आसानी से देख सकते हैं. पानी के अंदर उनको साफ दिखाई देता है. पानी में मगरमच्छ 25 मील घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसकी मजबूत पूंछ के कारण पानी में तैरने में आसानी होती है. मगरमच्छ और घड़ियाल अलग-अलग होते हैं. घड़ियाल का जबड़ा यू शेप का होता है. इनके दांत नहीं दिखते हैं.
सरिस्का के करना का बास, क्रास्का, हनुमान सागर, सारुंडा, डिलीवरी क्षेत्र में मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है. यहां आने वाले पर्यटकों को मगरमच्छ के साथ मगरमच्छ के बच्चे भी दिखाई दे रहे हैं. यह देखकर पर्यटक भी काफी खुश नजर आते हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि मगरमच्छों की संख्या बढ़ने से यहां आने वाले पर्यटकों को उनके साइटिंग हो रही है. सरिस्का में अब बाघ, पैंथर, भालू, मगरमच्छ के अलावा अन्य वन्यजीवों की भी पर्यटकों को सेटिंग होती है. इससे लगातार यहां पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.