प्रदूषण से बेहाल भिवाड़ीवासी अलवर.अलवर, भिवाड़ी सहित एनसीआर में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. सर्दी के कारण पूरा एनसीआर धुएं के गुब्बारे में तब्दील हो गया. यही वजह है कि प्रदूषण के चलते भिवाड़ी के लोगों को कई तरह की बीमारियां होने लगी है. औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले लोग ज्यादा परेशान हैं. लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से केवल दावे किए जा रहे हैं. इसको लेकर धरातल पर खास कोई नहीं हुआ है. मौजूदा स्थिति यह है कि दिन भर भिवाड़ी क्षेत्र में धूल और धुआं उड़ता रहता है. जिसका प्रभाव बुजुर्ग, महिला, बच्चों और युवा पर पड़ रहा है.
वायु प्रदूषण के मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाले हानिकारक पदार्थ, बिजली निर्माण, फैक्ट्रियों का धुआं, कंस्ट्रक्शन, खाना पकाने के लिए बायोमास जलाना और फसल जलाना है. वायु प्रदूषण का लोगों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव रहता है, जो एक धीमी जहर की तरह है. जिसे देखा तो नहीं जा सकता है, लेकिन शरीर को अंदर ही अंदर खोखला और काफी नुकसान पहुंचाता है.
भिवाड़ी के फेज 2 में रहने वाले वीर सिंह ने बताया कि वो औद्योगिक इलाके में कॉर्डिनेटर का काम करते हैं. लेकिन हाल के सालों की तुलना में मौजूदा समय में यहां के हालात बहुत खराब हुए हैं. वायु प्रदूषण के अलावा पानी भी प्रदूषित मिलने लगा है. औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले और रहने वाले लोगों की परेशानियां दिन-ब-दिन बढ़ने लगी है. उनके आंखों में जलन, त्वचा संबंधित बीमारियां होने लगी है. लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है. यही कारण है कि यहां तेजी से अस्थमा के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है. भिवाड़ी के आसपास के क्षेत्रों में डॉक्टरों के क्लीनिक पर लोगों की लंबी कतारें देखने को मिल रही है.
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वहीं, स्क्रैप का काम करने वाले जय गोविंद ने कहा कि भिवाड़ी में रहना अब मुश्किल हो गया है. कामकाज के कारण मजबूरी में उनको यहां रहना पड़ता है. दिनभर औद्योगिक क्षेत्र में रहने के कारण कई तरह की बीमारियां होने लगी है. आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी के साथ ही त्वचा संबंधित कई तरह की बीमारियां होने लगी है. यहां डॉक्टर सभी बीमारियों का कारण प्रदूषण को बताते हैं. उनके साथ उनके परिवार के लोगों को भी दिक्कतें हो रही है.
डॉ. सत्यपाल यादव ने बताया कि प्रदूषण से बचाव के लिए जरूरी है कि खानपान और बाहर निकलते समय सावधानी बरतें. प्रदूषण के कारण स्ट्रोक के 34 प्रतिशत, हृदय रोग के 26 प्रतिशत, फेफड़े के कैंसर 6 प्रतिशत और अन्य कारणों से 28 प्रतिशत मौत प्रदूषण के कारण होती है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण बच्चों की स्मरण शक्ति पर भी असर डालता है. गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा प्रदूषण के कारण जुकाम होना, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, टीबी और गले में इंफेक्शन, साइनस, अस्थमा और फेफड़ों से संबंधित बीमारियां होती है.
वायु प्रदूषण से बचाव:डॉ. सुनील चौहान ने बताया कि घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा मुंह पर मास्क का उपयोग करें. इसके अलावा आंखों पर चश्मा भी लगाएं. ध्यान रखें कि चेहरे पर लगे मास्क को बार-बार छूना नहीं चाहिए. एक मास्क को एक बार ही प्रयोग करें. एक ही मास्क का प्रयोग बार-बार करके आप वायरस और कई तरह के इंफेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया की चपेट में आ सकते हैं. घर के बाहर सड़कों को गीला करके रखें, ताकि धूल के दूषित कण हवा में न उड़ने पाएं.
क्या बरतें सावधानी:आयुर्वेद डॉक्टरों की मानें तो खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरूर खाएं. गुड़ खून को साफ करता है. इससे आप प्रदूषण से बचे रहेंगे. फेफड़ों को धूल के कणों से बचाने के लिए आप रोजाना एक गिलास गर्म दूध जरूर पीएं. अदरक का रस और सरसों का तेल नाक में बूंद-बूंद कर डालने से भी आप हानिकारक धूल कणों से बचे रहेंगे. खुद को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें.
इसके अलावा शहद में काली मिर्च मिलाकर खाएं. इससे आपके फेफड़े में जमी कफ और गंदगी बाहर निकल जाएगी. अजवायन की पत्तियों का पानी पीने से भी व्यक्ति का खून साफ होने के साथ ही शरीर के भीतर मौजूद दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं. वहीं, तुलसी प्रदूषण से आपकी रक्षा करती है, इसलिए रोजाना तुलसी के पत्तों का पानी पीने से आप स्वस्थ बने रहेंगे.