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RPF जवान मायाराम का 40 दिन बीत जाने पर भी नहीं लगा कोई सुराग, परिजनों ने की ये मांग

बंगाल चुनाव के दौरान ड्यूटी पर गए बानसूर निवासी आरपीएफ में तैनात मायाराम गुर्जर का 40 दिन बीत जाने के बाद भी आजतक पता नहीं चला पाया. जहां उसके पिता आज भी अपने बेटे का इंतजार करते है.

Bansur resident RPF jawan Mayaram missing, बानसूर निवासी RPF जवान मायाराम लापता
बानसूर निवासी RPF जवान मायाराम लापता

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Published : Jun 4, 2021, 8:01 AM IST

बानसूर (अलवर). क्षेत्र के गांव खरखड़ी निवासी मायाराम गुर्जर के पिता आज भी घर के दरवाजे पर खड़े होकर अपने बेटे के आने की राह देखते हैं. आरपीएफ में तैनात मायाराम गुर्जर बंगाल चुनाव के दौरान ड्यूटी पर गया था. चुनाव के बाद वह अपने साथी के साथ पद्मावती नदी किनारे नहाते वक्त फिसलने से गिर गया और वहां से वापस नहीं लौटा, लेकिन करीब 40 दिन बीत जाने के बाद भी मायाराम के पिता अपने बेटे के आने की राह देखते हैं.

बानसूर निवासी RPF जवान मायाराम लापता

परिजनों की गुहार

वही स्थानीय लोग और नेताओं ने जिला कलेक्टर से मायाराम को जिंदा या शव बरामद के लिए ज्ञापन सौंपा था. जिस पर जिला कलेक्टर ने मंत्रालय को पत्र भी लिखा है, लेकिन आज भी अपने बेटे की राह घरवाले घर के दरवाजे पर खड़े होकर देखते हैं. वहीं दूसरी ओर बंगाल की पद्मावती नदी पर मायाराम का बड़ा भाई ओमपाल सिंह एनडीआरएफ टीम और एसओजी टीम के साथ लगातार सिलीगुड़ी की पदमानदी पर अपने भाई का इंतजार कर रहा है. आज 40 दिन बीत जाने के बाद भी जवान मायाराम का कोई पता नहीं चल पाया है. परिजन केंद्र सरकार और राज्य सरकार से भी लगातार गुहार लगा रहे हैं.

परिजन अब भी कर रहे इंतजार

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अनुकंपा के तहत नौकरी की मांग

मायाराम के चाचा बनवारी लाल ने बताया कि भतीजा मायाराम को शहीद का दर्जा मिले और अनुकंपा के तहत छोटे भाई कृष्ण को नौकरी दी जाए. साथ ही जल्द से जल्द मायाराम के शव की तलाश कर सौंपा जाए. गौरतलब है कि 24 अप्रैल को जवान मायाराम बंगाल चुनाव करवाकर पद्मावती नदी पर दूसरे जवान के साथ नहाने गया था. उसी दौरान नहाते वक्त उसका पैर फिसल गया और नदी में चला गया.

40 दिन बीत जाने के बाद भी आरपीएफ जवान का नहीं चला पता

वहीं परिजनों ने जांच एजेंसियों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. मायाराम के चाचा बनवारी लाल ने कहा कि 11 दिन बाद आरपीएफ की ओर से एक शोक संदेश भेजा है, जबकि मायाराम का बड़ा भाई 11 दिन तक एनडीआरएफ और आरपीएफ अन्य बटालियन के साथ पद्मावती नदी पर अपने भाई का इंतजार करता रहा, लेकिन उसको भी वहां से वापस भेज दिया गया.

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सरकार पर गंभीर आरोप

जिसके बाद 30 दिन बीत जाने के बाद बड़ा भाई ओमपाल सिंह फिर से नदी पर राहत बचाव बटालियन के साथ ठहरा हुआ है. परिजनों ने सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि आरपीएफ जवान मायाराम जिंदा या मुर्दा सौंपा जाए. इस मामले को लेकर अलवर जिला कलेक्टर नन्नू मल पहाड़िया को भी अवगत करा दिया गया है. इसके साथ ही मायाराम को शहीद का दर्जा प्राप्त हो और उसकी जगह उसका छोटा भाई कृष्ण को अनुकंपा के तहत नौकरी मिले.

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