अलवर.बारिश के बाद जिले में मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. यहां प्रतिदिन सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाली मरीजों की संख्या 8 से 10 हजार रहती है. वहीं चिकित्सा विभाग की ओर मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए तैयारी पूरी करने की बात कही जा रही है.
अलवर में मौसमी बीमारी बढता खतरा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सभी ग्रामीण अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की टेमीफ्लू दवा पहुंच चुकी है. इसके अलावा डॉक्टरों को भी मरीजों की जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं. बता दें कि अलवर जिले में 11 विधानसभा में हैं. इनमें 122 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 36 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. स्वाइन फ्लू सहित अन्य गंभीर मौसमी बीमारियों का जिले में खासा प्रभाव रहता है. इसलिए मौसम में बदलाव होते ही स्वास्थ्य विभाग को स्वाइन फ्लू का डर सताने लगा है. अकेले सामान्य अस्पताल में प्रतिदिन 4000 मरीजों की ओपीडी रहती है. अलवर जिला सीमावर्ती जिला है। इसकी सीमा उत्तर प्रदेश व हरियाणा राज्य से लगती है. इसलिए कोई भी बीमारी तेजी से फैलने का खतरा भी ज्यादा रहता है.
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हालांकि जिले में अभी तक स्वाइन फ्लू का कोई भी पॉजिटिव मरीज व लक्षण वाला मरीज नहीं मिले हैं. स्वाइन फ्लू का सीजन अक्टूबर माह से फरवरी माह तक माना जाता है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. हालांकि बीते साल स्वाइन फ्लू से 6 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन सरकारी आंकड़ों के हिसाब से स्वाइन फ्लू से 2 लोगों की मौत होने की पुष्टि की गई. 3 दिनों से ज्यादा बुखार होने वाले व्यक्ति को प्रिकॉशन के रूप में टेमीफ्लू दवाई दी जा रही है. अभी तक करीब हजारों लोगों को टेमीफ्लू दवा दी जा चुकी है.
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ऐसे में देखना होगा कि आने वाले समय में अलवर जिले में स्वाइन फ्लू के मरीजों को इस तरह का इलाज मिलता है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की माने तो सभी सरकारी अस्पतालों में टेमीफ्लू दवा उपलब्ध करा दी गई है. इसके अलावा डॉक्टरों को बीमार मिलने वाले मरीजों का तुरंत इलाज कराने के निर्देश दिए हैं. 3 दिन से ज्यादा अगर किसी मरीज को बुखार की शिकायत हो रही है तो उन्हें स्वाइन फ्लू जांच कराने के लिए भी कहा गया है.