अलवर. विवादों में रहने वाली अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी के मालिक वीके अग्रवाल को बेंगलुरु पुलिस ने अलवर पुलिस की मदद से हिरासत में लिया. (Alwar Sunrise University Owner detained). वीके अग्रवाल पर यूनिवर्सिटी बेचने के नाम पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है. वीके अग्रवाल के खिलाफ बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज हुई. जिसकी जांच पड़ताल करते हुए पुलिस अलवर पहुंची. अलवर पुलिस की मदद से आरोपी को पुलिस ने घर से हिरासत में लिया है. पुलिस टीम ने वीके अग्रवाल से पूछताछ की और फिर नोटिस देकर छोड़ दिया है.
ये विवाद नया है. इससे पहले फर्जी डिग्री देने के मामले में अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी हमेशा सुर्खियों में रही है. इस बार विवाद बड़ा है. सनराइज यूनिवर्सिटी को बेचने के नाम पर करोड़ों रुपए के गबन का मामला है (SU Owner wanted in Fraud case).
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अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी के मालिक वीके अग्रवाल को बेंगलुरु पुलिस ने अलवर पुलिस की मदद से हिरासत में लिया, लेकिन कुछ घंटों की पूछताछ के बाद नोटिस देकर छोड़ दिया. शिकायतकर्ता ने बताया कि 35 से 40 करोड़ रुपए में यूनिवर्सिटी का सौदा हुआ था. इस मामले में बेंगलुरु पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 व 406 में मामला दर्ज किया. मामले में वीके अग्रवाल व उसका बेटा दीप कमल अग्रवाल, पत्नी मंजू अग्रवाल, हुकुम शर्मा व राकेश शर्मा सहित पांच लोग शामिल हैं.
फर्जी डिग्री देने के मामलों में अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी हमेशा विवादों व चर्चाओं में रही है. अब सनराइज यूनिवर्सिटी को बेचने के नाम पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. करोड़ों रुपए के गबन के मामले में सनराइज यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर वीके अग्रवाल को कोतवाली थाना पुलिस के सहयोग से बेंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार किया. कुछ घंटों तक वीके अग्रवाल को कोतवाली थाने में रखा गया. यहां पुलिस ने उनसे पूछताछ की व उसके बाद नोटिस देकर छोड़ दिया. अलवर पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने कहा बेंगलुरु पुलिस डिटेन करने के लिए अलवर पहुंची थी. अलवर पुलिस ने सहयोग किया व आरोपी को बेंगलुरु पुलिस के हवाले कर दिया था.
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इस मामले में परिवादी देवेंद्र ने 8 नवंबर 2022 को एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें कहा गया कि ग्लोबल शिक्षा इंस्टीट्यूट सर्विसेज में संस्थापक राकेश कुमार ने साल 2017 में दिल्ली में मुलाकात के दौरान बताया कि अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी 35 से 40 करोड़ रुपए में बिकने की जानकारी दी. राकेश कुमार बेंगलुरु गए और वहां हुकुम शर्मा से उन्होंने मुलाकात की. उसके बाद राकेश शर्मा व हुकुम शर्मा ने फोन से देवेंद्र की वीके अग्रवाल से बात करवाई. इस दौरान 35 से 40 करोड़ के बीच यूनिवर्सिटी बेचने का सौदा तय हुआ. इस पर देवेंद्र कुमार कलाल ने करीब 2.26 करोड़ रुपए बैंक डिपॉजिट कर चुका है. जबकि 4.74 करोड़ रुपए कैश के रूप में दिए गए हैं. यह कैश लेनदेन 19 मार्च 2021 से किया गया.
उसके बाद बीके अग्रवाल ने यूनिवर्सिटी देवेंद्र कुमार रावत के नाम ट्रांसफर करने की जगह हरियाणा के किसी अन्य व्यक्ति के नाम ट्रांसफर कर दी. इस बीच देवेंद्र कुमार ने अपने पैसे वापस मांगे. इस पर वीके अग्रवाल व अन्य दलाल उन्हें घुमाते रहे. बाद में पैसे देने से मना कर दिया जिसके बाद देवेंद्र कुमार ने वीके अग्रवाल, उसकी पत्नी मंजू अग्रवाल, बेटा दीप कमल अग्रवाल, हुकुम शर्मा और राकेश कुमार के खिलाफ पुलिस को लिखित शिकायत दी. पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 420 व 406 के तहत एफआईआर दर्ज करके मामले में अनुसंधान शुरू किया. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि मामले में जांच अभी चल रही है. जिन लोगों के एफआईआर में नाम हैं उन लोगों से पूछताछ की जा रही है.
कहां से आया इतना पैसा
इस पूरे मामले के दौरान एफआईआर में देवेंद्र कलाल ने कहा कि उन्होंने करीब 4 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि कैश वीके अग्रवाल को दी. ऐसे में यह सवाल उठता है कि देवेंद्र कलाल के पास नकद पैसा कहां से आया. इस मामले की भी जांच पड़ताल होनी चाहिए. क्योंकि कैश लेनदेन पर सरकार ने पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है. इस राशि का सरकार के पास टैक्स नहीं पहुंचा.