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सलाखों के पीछे रहकर शिक्षा से संवार रहे भविष्य, अलवर संप्रेषण गृह के बाल अपचारी लिख रहे नई कहानी - अलवर संप्रेषण गृह के बाल अपचारी लिख रहे नई कहानी

राजस्थान के अलवर में बाल संप्रेषण गृह में रहने वाले बाल अपचारी अब अपना भविष्य सलाखों के पीछे रहकर भी खुद संवार रहे हैं. शिक्षा के जरिए वह बाहर आने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.

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सलाखों के पीछे रहकर शिक्षा से संवार रहे भविष्य

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Published : May 17, 2023, 7:05 PM IST

अलवर संप्रेषण गृह के बाल अपचारी लिख रहे नई कहानी

अलवर. 18 साल से कम उम्र के अपचारियों को बाल संप्रेषण गृह में रखा जाता है. बाल अपचारियों के जीवन में एक रोशनी की किरण नजर आई है. सलाखों के पीछे अब बाल अपचारी आईटीआई की पढ़ाई कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ पेंटिंग व क्राफ्ट के काम में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. जिससे सजा पूरी होने के बाद वो समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें.

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संप्रेषण गृह में रह रहें हैं 17 बाल अपचारीः अलवर के हसन खां मेवात नगर में राजकीय संप्रेक्षण गृह में 18 वर्ष से कम उम्र के बाल अपचारी को रखा जाता है. 18 उम्र के बाद उनको जयपुर शिफ्ट कर दिया जाता है. 18 वर्ष से कम उम्र के इस समय 17 बाल अपचारी बाल संप्रेषण गृह में रहते हैं. सजा पूरी होने के बाद अभी तक बाल अपचारी अपराध के रास्ते को चुनते थे, तो कुछ जीवन की राह में भटक जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अलवर के बाल संप्रेषण ग्रह में बाल अपचारी पढ़ाई कर रहे है. बाल संप्रेषण गृह के अधीक्षक संजय वर्मा ने बताया कि राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में रहने वाले 17 में से 9 संघर्षरत बालक शिक्षा ले रहे हैं. इस साल आठवीं के 2, दसवीं के 2, बारहवीं के 3, एक आईटीआई व एक बालक ने नीट की परीक्षा दी है. यहां पर समय-समय पर मेडिकल जांच के लिए चिकित्सक भी आते हैं.

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स्वस्थ रहने के लिए ओपेन जिम की व्यवस्थाः बालक ITI में हुनर सीख कर समाज की मुख्य धारा से जुड़कर अपना जीवन यापन कर सकेंगे. इसके अलावा बालक पोस्टर लेखन, पेटिंग व अन्य प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीत कर प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं. ऐसे बालकों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता है. वहीं बाल संप्रेषण गृह में बालकों के लिए ओपेन जिम, पीटी व खेलकूद की भी व्यवस्था की गई है. इससे बालक स्वस्थ रह सकेंगे और डिप्रेशन व मानसिक तनाव जैसी परेशानियों से भी दूर रहेंगे.

सरकार कर रही है बेहतर कामः राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह के अधीक्षक संजय वर्मा ने बताया कि विधि से संघर्षरत इन बालकों को अपराध करने पर जेल न भेजकर अपने आचरण में सुधार के लिए बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है. यहां अभी कुल 17 बालक हैं. सजा पूरी होने के बाद जब बालक जेल से रिहा हो, तो समाज में रहकर समाज की मूल धारा के साथ जुड़े व अपराध का रास्ता छोड़कर मेहनत मजदूरी व अपने हुनर से काम करें. सरकार की तरफ से इस दिशा में बेहतर काम किया जा रहा है. कई योजनाओं के माध्यम से अलग-अलग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

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