अलवर में साइबर ठगी की घटनाएं अलवर.अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ट्रेनिंग सचिन मित्तल दो दिवसीय जिले के निरीक्षण के लिए अलवर पहुंचे. बुधवार को उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय जिले के थाने में पुलिस लाइन का निरीक्षण किया और गुरुवार को पुलिस लाइन में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसके बाद उन्होंने पुलिसकर्मियों की समस्याएं सुनी और पुलिस अन्वेषण भवन में पुलिस अधिकारियों की क्राइम मीटिंग ली.
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि क्राइम के लिहाज से अलवर जिला क्रिटिकल है. राजस्थान में सबसे ज्यादा मामले अलवर जिले में दर्ज होते थे, इसलिए पुलिस के लिहाज से अलवर के 2 जिले बनाए गए. भिवाड़ी में अलग से पुलिस अधीक्षक को लगाया गया, इसके बाद भी लगातार अलवर में घटनाएं हो रही हैं. अलवर जिले में साइबर क्राइम सबसे बड़ी चुनौती है. एटीएम व ऑनलाइन की मदद से यह ठग खुलेआम लाखों रुपए लोगों से लूट रहे हैं. प्राइवेट बैंकों ने ग्रामीण क्षेत्र में एटीएम खोल दिए हैं, ऐसे में लोगों को तो मदद मिली है, लेकिन ठगों का काम आसान हो गया है.
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इतने मोबाइल सिम करवाए ब्लॉक : उन्होंने कहा कि सभी ठग अब ऑनलाइन ठगी में शिफ्ट हो चुके हैं. अलवर भरतपुर जिले में सबसे ज्यादा ऑनलाइन ठगी के मामले सामने आते हैं, जो कि दोनों जिलों की पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि अभी तक अलवर जिले में 18000 मोबाइल नंबर तो भरतपुर में 58000 मोबाइल सिम ब्लॉक कराई गई हैं. इन नंबरों से लोगों को ठगा जाता था, लगातार यह खेल जारी है. उन्होंने कहा कि जिले में बेहतर पुलिसिंग के प्रयास किए जा रहे हैं. अलवर जिले में जो कमियां हैं, उसकी जानकारी सरकार व पुलिस के आला अधिकारियों को दी जाएगी. इसकी एक रिपोर्ट तैयार होगी.
साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों को बेहतर सुविधा देने के प्रयास भी जारी हैं. पुलिसकर्मियों को आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग मिले, वो फिट रहें, इसका भी खास ध्यान रखा जाता है. अलवर जिले में साइबर थाना काम कर रहा है. अब तक 14 एफआईआर दर्ज हुई हैं. पुलिस की तरफ से साइबर ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि ठग शातिर हैं, वो एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं करते हैं. इसमें मोबाइल एप की मदद ली जाती है, इसलिए ठगों को पकड़ने में पुलिस को काफी दिक्कत होती है.