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अजमेर: कब खुलेगी मेरे ख्वाजा की दरगाह, दर पर चिट्ठियां बांधकर लोग कर रहे अरदास

अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पिछले 14-15 महीनों से बंद है. ऐसे में ख्वाजा साहब के चाहने वाले दरगाह के दरवाजे पर अपनी मन्नतों की चिट्ठियां बांधकर ख्वाजा साहब तक अपनी दुआएं पहुंचा रहे हैं.

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कब खुलेगी मेरे ख्वाजा की दरगाह

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Published : Jun 7, 2021, 4:21 PM IST

अजमेर.ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह(khwaja garib nawaz) पूरे विश्व में सभी धर्म प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. लेकिन दरगाह पिछले 14-15 महीनों से बंद है. इस दौरान बीच में इसे कुछ दिनों के लिए खोला गया था, लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से इसे वापस बंद कर दिया गया है. ऐसे में ख्वाजा साहब के चाहने वाले दरगाह के दरवाजे पर अपनी मन्नतों की चिट्ठियां बांधकर ख्वाजा साहब तक अपनी दुआएं पहुंचा रहे हैं. इसके बारे में ईटीवी भारत ने दरगाह शरीफ के खादिमों से बातचीत की.

कब खुलेगी मेरे ख्वाजा की दरगाह

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इस बारे में बात करते हुए दरगाह शरीफ के खादिम सलमान चिश्ती और नफीस मियां चिश्ती ने बताया की ख्वाजा साहब की दरगाह बंद होने से कई लोगों से उनका रोजगार छिन गया है. दरगाह बाजार और आसपास के क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोगों की रोजी-रोटी दरबार शरीफ में हाजिरी लगाने वाले जायरीनों की वजह से ही चलती है. ऐसे में दरगाह का बंद होना इन लोगों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है ख्वाजा साहब के मानने वाले श्रद्धालु ख्वाजा साहब की बार कहा की चौखट चूम कर अपनी चिट्टियां दरगाह के गेट पर लटका रहे हैं इन सभी चिट्ठियों में एक ही फरियाद होती है कि ख्वाजा साहब जल्द से जल्द इस महामारी को देश-दुनिया से खत्म कर दें ताकि लोगों को उनका रोजगार वापस मिल सके.

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सरकार को बनानी चाहिए गाइडलाइन

खादिम समुदाय का कहना है कि सरकार को धार्मिक स्थलों को खोलने का फैसला करते हुए कुछ इस तरह के इंतजाम करने चाहिए जिससे कोरोना गाइडलाइंस के नियमों का भी पालन करवाया जा सके और लोगों के रोजगार भी प्रभावित ना हो.

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जानकारी के लिए बता दें कि देश में पिछले डेढ़ साल से कोरोना का कहर चल रहा है. इस दौरान सभी धार्मिक स्थल पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं. श्रद्धालुओं को अपने इष्ट देव के दर्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में कई लोग इस महामारी को देश-दुनिया से खत्म करने के लिए श्रद्धालु धार्मिक स्थलों के बाहर से ही अपने इष्ट देव को याद कर रहे हैं.

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