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Right to health bill पर प्राइवेट अस्पतालों के समर्थन में आए देवनानी, गहलोत सरकार पर लगाए ये आरोप - राइट टू हेल्थ बिल

पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने राइट टू हेल्थ बिल के प्राइवेट अस्पतालों के विरोध का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि सरकार तानाशाही से प्राइवेट अस्पतालों को झुकाना चाहती है.

Vasudev Devnani supports private hospitals over right to health bill
Right to health bill पर प्राइवेट अस्पतालों के समर्थन में आए देवनानी, गहलोत सरकार पर लगाए ये आरोप

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Published : Feb 20, 2023, 8:42 PM IST

अजमेर.पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी का आरोप है कि गहलोत सरकार ने अजमेर के साथ सौतेला व्यवहार किया है. देवनानी ने सीवेज, पेयजल, तेलंगाना गेस्ट हाउस, अल्पसंख्यक गेस्ट हाउस समेत कई मुद्दों को लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. देवनानी का यह भी आरोप है कि तानाशाही के माध्यम से गहलोत सरकार प्राइवेट अस्पतालों को झुकाना चाहती है.

देवनानी ने कहा कि सरकार राइट टू हेल्थ बिल लाना चाहती है. बिल के प्रावधानों को लेकर पूरे राजस्थान में आंदोलन हो रहे हैं. बिल के प्रावधानों के तहत कोई भी प्राइवेट अस्पताल मरीज का उपचार नहीं कर सकता. प्राइवेट अस्पताल में 1 दिन के 1700 रुपए भोजन समेत देने का प्रावधान किया गया है. जबकि करोड़ों रुपए लगाकर अस्पताल संचालित किए जाते हैं. देवनानी ने कहा कि 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा केंद्र की आयुष्मान योजना के साथ चिरंजीवी योजना को जोड़ा गया है. केंद्र के खर्चे पर चिरंजीवी योजना को प्रचारित करके कांग्रेस लाभ लेना चाह रही है.

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उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी योजनाओं के विरोध में जब प्राइवेट अस्पताल के संचालक आंदोलन पर उतरे, तो जयपुर में 175 अस्पतालों की जमीनों के जांच के आदेश दे दिए गए. सरकार इस तरह से डरा रही है. यह लोकतंत्र नहीं है. तानाशाही तरीके से गहलोत सरकार प्राइवेट अस्पतालों को झुकाना चाह रही है. देवनानी ने कहा कि इस मुद्दे का एक ही समाधान है कि सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था सरकार बेहतर करे.

कम्युनिटी हेल्थ अधिकारी परीक्षा का पेपर भी लीक:देवनानी ने कहा कि पेपर लीक के समय सीएम अशोक गहलोत ने बड़े दावे किए थे कि किसी तरह का पेपर लीक नहीं हुआ है. सरकार ने कठोर कदम उठाए हैं. देवनानी ने कहा कि हाल ही में रविवार को जो पेपर आयोजित हुआ है, वह लीक हो गया. 100 में से 80 प्रश्न हूबहू पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि 30500 पदों की जो कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर की भर्ती हो रही थी, यह भी पेपर लीक की भेंट चढ़ गई है.

चुनावी साल है कांग्रेस करेगी नाटक: पुष्कर में सरकार के चार दिवसीय होली महोत्सव कार्यक्रम पर तंज कसते हुए देवनानी ने कहा कि चुनावी वर्ष में कांग्रेस इस तरह के कई नाटक करेगी. कांग्रेस को लगने लगा है कि बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर जीत रही है. यही वजह है कि इस प्रकार के उत्सव मना कर कांग्रेस लोगों की सहानुभूति बटोरने चाहती है. देवनानी ने कहा कि पुष्कर में होली महोत्सव मनाने से कांग्रेस को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है.

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युवाओं के साथ किया गया छलावा:देवनानी ने कहा कि पिछले बजट में भी गहलोत ने युवाओं को नौकरी देने की घोषणा की थी. वह घोषणा पूरी नहीं हुई कि इस बार भी बजट में गहलोत ने एक लाख युवाओं को नौकरी देने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि आरपीएससी का कैलेंडर बन चुका है. उसमें नौकरियों का कोई प्रावधान नहीं है. देवनानी ने कहा कि गहलोत सरकार के पास अब काम करने के लिए केवल 5 महीने हैं. उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं और आमजन को बरगला रही है. देवनानी ने कहा कि मैं दावा करता हूं कि बीजेपी तीन चौथाई बहुमत से सत्ता में आएगी.

अजमेर को किया नजरअंदाज: देवनानी का आरोप है कि बजट में अजमेर को कांग्रेस सरकार ने पूरी तरह से नजरअंदाज किया है. अजमेर में ज्योतिबा फुले वाचनालय बनाया जाना था. मिनी फुट पार्क का कार्य भी शुरू नहीं हुआ. संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में 25 करोड़ की लागत से ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की घोषणा की थी. देवनानी ने कहा कि सबसे बड़ा अजमेर के साथ सौतेला व्यवहार पेयजल को लेकर किया गया. गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले ही पानी की समस्या आमजन को परेशान कर रही है. पानी की समस्या से निजात के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा गया है. बीसलपुर के थर्ड फेज के लिए सरकार ने बजट घोषणा नहीं की है और ना ही वर्तमान व्यवस्था सुधारने के लिए कोई बजट रखा गया है.

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अजमेर के भी मुद्दे उठाए: अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में तेलंगाना हाउस और अल्पसंख्यक हॉस्टल को भूमि आवंटन का विरोध जनता ने किया. अभी भी क्षेत्र के लोग आंदोलनरत हैं. देवनानी ने कहा कि मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया है. यूजर चार्ज को लेकर भी विधानसभा में आवाज उठाई. आनासागर झील में नो कंस्ट्रक्शन जोन में सन 2014 से पहले के निर्माणों पर लाल निशान लगाए हैं. वह अफसरों ने डर पैदा करने के लिए लगाए हैं ताकि उन पर गाज ना गिरे. जबकि नियम यह कहते हैं कि 2014 के बाद हुए निर्माण कार्यों को ही चिन्हित कर लाल निशान लगाया जाए. देवनानी का आरोप है कि अफसरों ने 2014 के पहले के निर्माण को भी शामिल कर सूची अतिक्रमण की लंबी कर दी है. ताकि कार्रवाई लंबित हो जाए. इसी तरह अजमेर में साइंस पार्क को खोले जाने का कोई प्रावधान नहीं किया. जबकि जयपुर, कोटा में साइंस पार्क के लिए 30 करोड़ का प्रावधान किया गया है.

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