अजमेर.उर्स मेले के दौरान कायड़ विश्राम स्थली में अस्थाई दुकानों की रेट मनमाने तरीके से निर्धारित करने से गाड़िया लोहार समाज आहत है. गरीब गाड़िया लोहारों का आरोप है कि गत वर्ष अस्थाई दुकानों का शुल्क 3 हजार रुपए वसूल किया था. इस बार दरगाह कमेटी ने 30 हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया है, जो न्याय उचित नहीं है. गाड़िया लोहारों के लिए यह राशि काफी बड़ी है. प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार ने गाड़िया लोहार समाज के लोगों को रोजगार के लिए पुरानी रेट से अस्थाई दुकानें देने की मांग उठाई है.
अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 812 उर्स मेला शुरू हो चुका है. देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में जायरीन अजमेर आने लगे हैं. जायरीन के लिए विश्राम स्थली में ठहरने की व्यवस्था की गई है. यहां पर जायरीन के लिए बाजार भी लगाया जाता है. यहां दरगाह कमेटी की ओर से बड़े और छोटे व्यापारियों को अस्थाई दुकानों के लिए शुल्क लेकर जगह दी जाती है. इनमें छोटे फुटकर व्यापारी के तौर पर घुमंतू जाति के गाड़िया लोहार भी होते हैं, जो अपने हाथों से बनाए औजार और बर्तन बेचते हैं. मगर इस बार गाड़िया लोहारों को दरगाह कमेटी ने जबरदस्त झटका दे दिया है.
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कमेटी ने गाड़िया लुहारों को इस बार अस्थाई दुकान की जगह की एवज में 3 हजार रुपए की जगह अब 30 हजार रुपए शुल्क मांगा है. दरगाह कमेटी के फरमान से गाड़िया लोहारों में हड़कंप मच गया गया है. प्रदेश घुमंतू गाड़िया लोहार विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश लोहार का आरोप है कि दरगाह कमेटी की ओर से कायड़ विश्रामस्थली में अस्थाई दुकानों के लिए भारी किराया वसूल किया जा रहा है. 10×15 फिट की दुकानों का किराया 30 हजार रुपए की मांग की जा रही है. इतना किराया देने में गरीब गाड़िया लोहार सक्षम नहीं है. उर्स मेले के दौरान अस्थाई दुकानों पर कमाई ज्यादा नहीं होती है.