अजमेर.सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स से ठीक पहले दरगाह में संदल उतारे जाने की रस्म अदा की गई. गुरुवार रात को दरगाह में खिदमत के वक्त ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से खादिमों ने संदल उतारा. संदल को आम जायरीन के लिए तकसीम किया गया. मान्यता है कि मजार शरीफ से उतारे गए संदल में रूहानियत होती है. संदल से शरीर की ऊपरी बीमारियों में सफा मिलती है.
ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स रजब का चांद दिखने के साथ ही शुक्रवार से शुरू होगा. यदि चांद दिखता है तो आज से उर्स शुरू हो जाएगा. अगर चांद नहीं दिखता है तो उर्स का अगले दिन यानी 13 जनवरी से आगाज होगा. उर्स के ठीक पहले ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल (चंदन) उतारा जाता है. यह चंदन वर्ष भर ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर चढ़ा रहता है और उर्स से ठीक पहले संदल को उतारा जाता है. दरगाह के खादिमों ने खिदमत के वक्त आस्ताने में मजार से संदल उतारा. इस संदल को खादिमों ने अपने पास रख लिया है. वहीं, कुछ संदल दरगाह आने वाले जायरीन को भी तकसीम (बांटना) किया गया.
आज सुबह खुला जन्नती दरवाजा
दरगाह में खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि साल भर मजार शरीफ पर चढ़ने वाला संदल गुरुवार को उतारा गया है. दूर-दूराज से जायरीन मजार शरीफ से उतारे गए चंदन को लेने के लिए आते हैं. सकी बताते हैं कि मजार शरीफ से उतारे गए संदल को पानी में पीने से बड़ी से बड़ी बीमारियों में सफा मिलती है. ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वाले संदल को अपने साथ लेकर जाते हैं और घर परिवार, रिश्तेदारो में किसी की बीमार होने पर वह पानी के साथ संदल पीने के लिए देते हैं. यही वजह है कि संदल को पाने के लिए जायरीन में होड़ लगी रहती है. दरगाह के खादिम अपने पास भी संदल रखते हैं, जो दरगाह में वर्षभर आने वाले जायरीन को आवश्यकता होने पर देते हैं.
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रोजाना मिट्टी के प्यालों में भर चढ़ता है संदल :सकी बताते हैं कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में सालभर दिन के समय खिदमत के दौरान चंदन मिट्टी के प्यालों में भरकर मजार पर संदल चढ़ाया जाता है. खुद्दाम ए ख्वाजा अपनी और जायरीन की ओर से संदल पेश करते हैं. साथ ही दरगाह आने वाले जायरीन के लिए दुआएं की जाती हैं. साल भर में मजार पर बड़ी मात्रा में संदल जमा हो जाता है.
आज सुबह खुल गया जन्नती दरवाजा : खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि साल में चार मर्तबा खुलने वाला जन्नती दरवाजा शुक्रवार सुबह चार बजे आम जायरीन के लिए खोल दिया गया. रात से ही जायरीन की कतार जन्नती दरवाजे के बाहर लग गई थी. मान्यता है कि जनता की दरवाजे से होकर आस्ताने में ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करने वाले को जन्नत नसीब होती है. यही वजह है कि जायरीन में जन्नती दरवाजे से होकर जियारत करने की होड़ मची रहती है. उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को चांद नजर नहीं आता तो रात को जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा. इसके बाद अगले दिन यानी 13 जनवरी सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि रजब का चांद शुक्रवार को नजर आता है तो नौबत खाने में यंत्र बजाए जाएंगे. साथ ही दरगाह परिसर में महफिल खाने में दरगाह दीवान की सदारत में पहली महफिल होगी. देर रात को मजार शरीफ को गुसल दिया जाएगा.
गुरुवार को संदल उतारकर किया गया वितरित
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दुल्हन की तरह सजा दरगाह : उर्स के मद्देनजर दरगाह में मौजूद हर इमारत को शानदार रोशनी से रोशन किया गया है. दरगाह के निजाम गेट रोशनी से सजाया गया है. इसी तरह दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर भी रंग-बिरंगी रोशनी लगाई गई है. लंगर खाने, महफिल खाने, शाहजहानी मस्जिद, गुम्बद शरीफ पर भी शानदार रोशनी की सजावट की गई है. रात के वक्त ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह दुल्हन की तरह सजी हुई नजर आ रही है.
पीएम मोदी ने भेजी चादर : बता दें कि पीएम मोदी ने हर साल की तरह इस बार भी अजमेर शरीफ के उर्स के मौके पर चादर भेजी है. एक मुस्मिल समाज के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात कर पीएम ने यह चादर भेंट की. पीएम मोदी ने प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. इस दौरान अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी और दिल्ली हज कमेटी की प्रमुख कौसर जहां भी मौजूद रहीं.