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उर्स 2024 : कुल की रस्म के साथ आज होगा उर्स का समापन, गुलाब जल और केवड़ा से धोई दरगाह - Urs 2024

Urs 2024, कुल की रस्म के साथ आज उर्स का समापन होगा. बुधवार रात में ही जायरीन ने गुलाब जल और केवड़ा से दरगाह धोने का काम किया. गुरुवार को क्या होगा खास ? यहां जानिए...

उर्स 2024
उर्स 2024

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 18, 2024, 7:44 AM IST

अजमेर.सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स का गुरुवार को कुल की रस्म के साथ विधिवत समापन होगा. इस कड़ी में उर्स के पांचवें दिन दरगाह में आखिरी महफिल हुई. वहीं, रात से ही जायरीन ने केवड़ा और गुलाब जल से दरगाह को धोना शुरू कर दिया. छठी पर भी दरगाह को धोया जाएगा. वहीं, खादिम समुदाय की ओर से दरगाह में कुल की रस्म अदा की जाएगी. हालांकि, उर्स मेला बड़े कुल की रस्म तक जारी रहेगा.

ख्वाजा गरीब नवाज का 812वां उर्स का समापन गुरुवार को कुल की रस्म के साथ होने जा रहा है. उर्स की पांच रजब की रात से बड़ी संख्या में जायरीन दरगाह में हाजरी लगाने पंहुचे. रात 11 बजे बाद जायरीन ने दरगाह को केवड़ा और गुलाब जल से धोना शुरू कर दिया. दरगाह की हर दीवार को जायरीन धोते नजर आए. साथ ही खाली बोतलों में उस पानी को भरते नजर आए, जिससे दरगाह को धोया जा रहा है. इस दौरान गुलाब जल और केवड़े से दरगाह परिसर महक उठा है.

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दरअसल, छठी पर छोटे कुल की रस्म के बाद उर्स का विधिवत समापन होता है. मदर दूर धारा से आए हुए जायरीन रात को ही दरगाह को केवड़ा और गुलाब जल से धोते हैं और हाजरी लगाकर अपने घरों को लौटने लगे हैं.

रात को ही उर्स की अंतिम महफिल : ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के 5 दिन-रात को महफिल खाने में दरगाह दीवान की सदारत में पारंपरिक महफिल होती है. बुधवार को पांचवे दिन दरगाह में अंतिम महफिल हुई. महफिल के बाद देर रात ख्वाजा गरीब नवाज की मजार को गुसल दिया गया. छठी पर पारंपरिक महफिल 11 बजे होगी.

बंद होगा जन्नती दरवाजा : ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में जन्नती दरवाजा कल की रस्म के बाद आमदनी के लिए बंद कर दिया जाएगा. बता दें कि उसे जन्नती दरवाजा वर्ष में चार मर्तबा ही खोला जाता है. उर्स के दरमियान यह रजब के चांद के दिखने पर खोला जाता है जो छठी पर छोटे कूल की रस्म के बाद बंद कर दिया जाएगा.

जुम्मे की विशेष नमाज के लिए रुकेंगे जायरीन : छठी के अगले दिन जुम्मा है. दरगाह परिसर में शाहजनी मस्जिद में जुम्मे की विशेष नमाज होती है. दरगाह आने वाले जायरीन के लिए जुम्मे की नमाज का विशेष महत्व है. जायरीन की कोशिश रहती है कि वह जुम्मे की नमाज यहां जरूर अदा करें. यही वजह है कि जुम्मे की विशेष नमाज में बड़ी संख्या में जायरीन शामिल होते है. जुम्मे को देखते हुए जायरीन छठी के बाद भी यहां रुकेंगे और नमाज अदा करने के बाद अपने घरों को लौटेंगे.

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