अजमेर.विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स की सोमवार को झंडे की रस्म के साथ अनौपचारिक शुरुआत होने जा रही है. भीलवाड़ा से गौरी परिवार झंडे की रस्म के लिए अजमेर दरगाह पहुंच चुका है. वहीं, गौरी परिवार की तीसरी पीढ़ी फकरुद्दीन गौरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया, ''ख्वाजा गरीब नवाज के 812वें उर्स का 12 या 13 जनवरी को रजब का चांद दिखने के साथ शुरुआत होगी. उर्स से ठीक 5 दिन पहले दरगाह में सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर सोमवार को गौरी परिवार की ओर से झंडा पेश करने की परंपरा है. इसी के लिए वो अजमेर आए हैं.''
गौरी परिवार की तीसरी पीढ़ी :वहीं, झंडे पेश करने की परंपरा को गौरी परिवार की तीसरी पीढ़ी निभा रही है और आगे चौथी पीढ़ी भी परंपरा के निर्वहन के लिए तैयार है. गौरी परिवार की तीसरी पीढ़ी से फखरुद्दीन गौरी रविवार को अजमेर दरगाह पहुंचे, जहां ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया, ''साल 1928 में पीर अब्दुल सत्तर बादशाह ने झंडा पेश करने की परंपरा शुरू की थी. यह हमारे दादा लाल मोहम्मद के गुरु थे. उनके बाद दादा लाल मोहम्मद और दूसरी पीढ़ी में मोइनुद्दीन गौरी ने परंपरा निभाई. अब यह परंपरा मै निभा रहा हूं और मेरे बाद मेरी अगली पीढ़ी परंपरा को निभाने के लिए तैयार है.''
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मेरे परिवार को दिया आशीर्वाद :उन्होंने आगे बताया, ''यह ख्वाजा गरीब नवाज का ही कर्म है कि इस काम के लिए उन्होंने मेरे परिवार को अपना आशीर्वाद दिया. सालों से वो अजमेर स्थित 5 सागर रोड निवासी ओमप्रकाश टेलर से झंडा बनवाते आ रहे हैं. 8 जनवरी को दरगाह गेस्ट हाउस से बंद बाजू के साथ जुलूस के रूप में यह झंडा निजाम गेट होते हुए बुलंद दरवाजा पहुंचेगा. उसके बाद झंडे की रस्म अदा की जाएगी.'' उन्होंने बताया, ''दरगाह की सबसे बड़ी और ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने के साथ ही दूर तलक लोगों को यह सूचना हो जाती है कि ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स आने वाला है.''