अजमेर.छोटे कुल की रस्म के साथ रविवार को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 811वां उर्स संपन्न हो गया है. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स की रौनक परवान चढ़ चुकी है. उर्स के मौके पर इस बार बड़ी संख्या में जायरीन अजमेर पहुंचे हैं और ये सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है. कायड़ विश्राम स्थली में 70 हजार के करीब जायरीन ठहरे हुए हैं. ऊंचाई से यदि विश्राम स्थली के नजारे को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होगा कि मानों यहां जायरीनों का गांव बस गया है. खास बात यह है कि देश के कोने-कोने से आए इन जायरीनों में अलग-अलग मजहब के लोग शामिल हैं. ईटीवी भारत ने विश्राम स्थली का जायजा लिया और जिम्मेदारों से व्यवस्थाओं को लेकर बातचीत की.
ख्वाजा गरीब नवाज के देश-दुनिया में करोड़ों चाहने वाले हैं. उर्स के मौके पर ख्वाजा को चाहने वाले हर अकीदतमंद की दिली ख्वाहिश होती है कि वह ख्वाजा की चौखट पर आकर हाजरी लगाए. यही वजह है कि लाखों की संख्या में देश-दुनिया से जायरीन अजमेर अपनी मन्नतें और मुरादे को लेकर आते हैं. दरअसल, उन्हें विश्वास है कि गरीब नवाज उन्हें जरूर नवाजेंगे. ख्वाजा के दर पर आने वाले जायरीन यहां गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में ठहरते हैं. वहीं, कुछ दरगाह क्षेत्र में रिहायशी मकानों में किराए पर कमरे लेकर रहते हैं. जबकि जायरीन का एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो कायड़ विश्राम स्थली में ठहरता है.
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कायड़ विश्राम स्थली में जायरीन के आवास, भोजन, चिकित्सा, सुरक्षा, सफाई, बाजार और उनके आने जाने तक की व्यवस्था की गई है. यह जायरीन टेंट, बड़े डोम और पक्की विश्राम स्थली में रह रहे हैं. ईटीवी भारत ने विश्राम स्थली का जायजा लिया. विश्राम स्थली के बाहर एक हजार से भी अधिक बसों का जमावड़ा लगा हुआ है. वहीं, विश्राम स्थली में करीब 70 हजार जायरीन ठहरे हुए हैं. साथ ही बताया गया कि आज रात भर में विश्राम स्थली में जायरीन की संख्या 80 से 90 हजार हो जाएगी, क्योंकि यहां लगातार जायरीनों के आने का सिलसिला जारी है.
छोटे कुल की रस्म के साथ उर्स संपन्न : रविवार को दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में कुल की महफिल हुई. इसमें शाही कव्वाल की चौकी ने बधावा और बंदड़ा कलाम पेश किए. दोपहर 1 बजे रंग पढ़ा गया. वहीं 1:15 बजे दरगाह दीवान महफिल खाने से जन्नती दरवाजे होते हुए आस्ताने शरीफ पहुंचे. यह दरवाजा उनके दाखिल होने के साथ ही बंद कर दिया गया. आस्ताने में कुल की रस्म अदा की गई.
इस दौरान सभी जायरीनों ने सलामती, खुशहाली के साथ मुल्क में अमन-चैन, भाईचारा और तरक्की के लिए भी दरगाह में दुआ मांगी. रस्म अदा करने के बाद दरगाह दीवान महफिल खाने होते हुए अपने खानकाह पहुंचे और मौरसी अमले की दस्तारबंदी की. शनिवार रात मगरिब की नमाज के बाद से कुल के छींटे लगानेके लिए जायरीन की भारी भीड़ दरगाह में उमड़ गई. रविवार सुबह भी दरगाह में हजारों जायरीन कुल के छींटे लगाने के लिए आए. यह सिलसिला कुल की रस्म तक चलता रहा.
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