अजमेर. पुष्कर में विश्व का इकलौता ब्रह्मा मंदिर (Brahma Temple in Ajmer) और पवित्र सरोवर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. सदियों से पुष्कर का महत्व तीर्थ गुरु के रूप में रहा है. करोड़ों हिंदुओं के लिए पुष्कर तीर्थ नगरी है. यहां आध्यात्म की खुशबू है. वहीं पितरों की शांति के लिए पवित्र सरोवर है. अजमेर और पुष्कर में रोजगार धार्मिक पर्यटन Religious tourism) पर आधारित है. मार्च 2020 से कोरोना महामारी की वजह से दोनों प्रमुख स्थानों पर रहने वाले लोगों के रोजगार पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है.
पुष्कर में श्रद्धालु और देसी विदेशी पर्यटकों (domestic foreign tourists) के आने से रोजगार के दरवाजे खुलते हैं. वहीं अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जायरीन आने से बाजारों में बरकत आती है. देश और प्रदेश में कोरोना महामारी का प्रकोप कम हुआ है ऐसे में अब तक कोरोना से जान बचाने का जतन कर रहे लोग अब रोजगार के लिए दोनों प्रमुख धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग कर रहे हैं.
यहां के तीर्थ पुरोहित श्रद्धालुओं से मिले दान दक्षिणा पर ही निर्भर है. पुष्कर की लोक संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य से वशीभूत होकर सात समंदर पार से भी विदेशी पावणे आते हैं. देसी विदेशी पर्यटकों की आवक से पुष्कर की पहचान अंतरराष्ट्रीय पटल पर बन चुकी है.
यही वजह है कि पुष्कर में पर्यटन उद्योग नई ऊंचाइयां छू रहा था लेकिन कोरोना महामारी ने देसी विदेशी पर्यटक के आवागमन पर रोक लगा दी है. श्रद्धालु पुष्कर नहीं आ रहे हैं. कोरोना महामारी को लेकर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ब्रह्मा जी का मंदिर और पुष्कर के पवित्र सरोवर के घाट पर पूजा अर्चना आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. व्यवसाय के जुड़े लोगों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
खासकर तीर्थ पुरोहित जिन्हें दान दक्षिणा नहीं मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पुष्कर पर्यटन उद्योग और श्रद्धालुओं के आगमन के लिए ब्रह्मा मंदिर के दर्शन और पुष्कर के पवित्र सरोवर के घाटों पर पूजा अर्चना का कार्य फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है.
दान पात्र खाली और पुजारियों की हालत खराब-
कोरोना की वजह से मंदिरों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है. राजस्थान में धार्मिक स्थल बंद हैं श्रद्धालु नहीं पहुंचने की वजह से दान पात्र खाली हो चुके हैं और पुजारियों की हालत खराब है. पिछले साल की तरह इस वर्ष भी मंदिरों की आय नहीं हुई है, जिससे इनकी व्यवस्था लड़खड़ाने लगी है. पुजारियों के साथ प्रसाद और पूजा सामग्री बचेने वालों के सामने भी आर्थिक संकट गहरा गया है.
धार्मिक स्थल भी कोविड की मार से अछूते नहीं रहे हैं. मंदिरों में भक्तों के नहीं पहुंचने का असर मंदिर की आय पर पड़ा है. पुजारी, सफाई कर्मी सहित अन्य लोग, जिनकी आजीविका धार्मिक स्थलों पर निर्भर है वे काफी प्रभावित हुए हैं.
जायरीन ख्वाजा की चौखट में दूर दूर से आते हैं-