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मानसून से पहले आना सागर झील का जलस्तर 2 फीट किया जा रहा कम, जानें क्यों

अजमेर के आना सागर झील का जलस्तर 2 फीट कम किया जा रहा है. जिससे मानसून के समय आना सागर के आसपास की कॉलोनियों को पानी भरने के खतरे से बचाया जा सके.

आना सागर झील, Ajmer news
आना सागर गेट की रखी जाएगी चौकसी

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Published : Jun 24, 2020, 7:50 PM IST

अजमेर. जिले में मानसून के आगमन को देखते हुए पानी से लबालब भरे आना सागर का जलस्तर कम किया जा रहा है. सिंचाई विभाग ने जिला कलेक्टर के आदेश से 13 फिट जलस्तर को 11 फीट पर लाने के लिए आनासागर के 2 गेट 6 इंच तक खोले गए हैं. 15 दिन तक दो चैनल गेट से प्रतिदिन 4 एमसीएफटी पानी निकाला जा रहा है.

आना सागर गेट पर रखी जाएगी चौकसी

अजमेर शहर के बीचोबीच खूबसूरत आना सागर झील मानव निर्मित झील है. इस झील के सौंदर्य से अजमेर आने वाले पर्यटक भी आकर्षित हुए बिना नहीं रहते. अजमेर शहर में दो विधानसभा क्षेत्र है. आनासागर झील उत्तर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. आनासागर कैचमेंट एरिया अतिक्रमित है वरना यहां दर्जनों कॉलोनियां भी आबाद हो चुकी होती हैं. आनासागर झील में 13 बड़े नाले और क्षेत्र के छोटे नालों से गंदे पानी की आवक बनी रहती है. विशाल झील गंदगी को भी अपने मे समाहित करती आई है. यही वजह है कि झील का जलस्तर बना रहता है.

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पिछले साल आना सागर झील से सटी सागर विहार, वैशाली नगर और वन विहार जैसी निचली बस्तियों में पानी भरने से विकट हालात उत्पन्न हो गए थे. यही वजह है कि प्रशासन ने मानसून के आगमन से पहले ही झील के जलस्तर को कम करना शुरू कर दिया है. जिससे निचली कॉलोनियों को बचाया जा सके. बुधवार को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता आनंद त्रिपाठी ने बताया कि आनासागर के आसपास की निकली कॉलोनियों को बचाने के लिए झील का जलस्तर कम किया जा रहा है.

आना सागर झील, अजमेर

वहीं आनासागर झील के भर जाने के बाद पानी छोड़े जाने से दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की निचली बस्तियां बिहारीगंज गुर्जर धरती, नगरा में पानी भरने का खतरा रहता है. इसलिए मानसून से पहले ही यह कदम उठाया जा रहा है.

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बारिश में आना सागर झील में छोटे-बड़े नालों के अलावा सबसे बड़ा मुख्य स्रोत बांडी नदी है. पहाड़ों के अलावा फॉय सागर झील का ओवर फ्लो पानी भी आनासागर झील में आता है. सालों से अतिक्रमण की वजह से सिमट रही झील में पानी को समाने की क्षमता भी कम चुकी है. यही कारण है कि आना सागर झील से पानी एस्केप चैनल के माध्यम से खानपुरा तालाब पहुचाया जा रहा है. बता दें कि खानपुरा तालाब के भरने के बाद डुमाडा, भावता होते हुए पानी गोविंदगढ़ बांध में पहुंचता है.

आना सागर गेट पर रखी जाएगी चौकसी...

आना सागर झील के दो चैनल गेट से 15 दिन तक पानी की निकासी एस्केप चैनल में होगी. ऐसे में सिंचाई विभाग ने चैनल गेट की सुरक्षा बढ़ा दी है. विभाग के कर्मचारी 24 घंटे में चार बार चैनल गेट पर चौकसी के लिए आएंगे. दरअसल, अनलॉक 1 के बाद केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन ऐतिहासिक बारादरी फिलहाल आमजन के लिए बंद है. वहीं केंद्रीय पुरातत्व विभाग के गार्ड बारादरी की सुरक्षा में लगे हुए हैं.

आना सागर चैनल गेट इन अफसरों की निगरानी में खोला...

आना सागर झील के दो चैनल गेट सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता आनंद त्रिपाठी, अधीक्षण अभियंता हेमंत शर्मा, सहायक अभियंता अशोक सांमरिया, कनिष्ठ अभियंता पूजा कुमावत मौजूद रहे.

पृथ्वीराज के पितामह आनाजी ने बनवाया था आना सागर झील...

बता दें कि अजमेर की सुप्रसिद्ध झील आना सागर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इस कृत्रिम झील के किनारे स्थित अजमेर, राजस्थान का दूसरा प्रमुख नगर है. पृथ्वीराज के पितामह आनाजी ने इस झील का निर्माण 1137 में कराया था. इसी झील से अजमेर नगर को पेयजल उपलब्ध होता है.

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इस झील के चारों ओर संगमरमर के दरवाजे स्थित हैं. जब यह झील भर जाती है तो इसका पानी अजमेर नगर में ही स्थित एक अन्य झील ‘पाई सागर’ में छोड़ दिया जाता है. बारहवीं सदी में निर्मित इस झील को लूनी नदी से विकसित किया गया था. सन 1637 में शाहजहां द्वारा लगाया गया दौलत बाग इस झील की सौंदर्यता बढ़ाता है.

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