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अक्षय तृतीया: मासूमों की शादी पर प्रशासन कसेगा शिकंजा...नियंत्रण कक्ष से होगी निगरानी

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Published : May 7, 2019, 3:11 PM IST

अजमेर जिले में मंगलवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह की रोकथाम के लिए प्रशासन विशेष निगरानी रख रहा है. इसके लिए प्रशासन ने नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं.

बालविवाह रोकथाम के लिए प्रशासन ने बनाई ठोस रणनीति

अजमेर. जिले में अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त पर बड़े पैमाने पर सावों का आयोजन हो रहा है. आशंका जताई जा रही है कि इस दौरान बाल विवाह भी सामने आएंगे. इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन कि ओर से विशेष निगरानी रखी जा रही है. जिला मजिस्ट्रेट ने अधिकारियों को 24 घंटे सचेत रहने के निर्देश भी दिए हैं.

जिला मजिस्ट्रेट विष्णु शर्मा ने बताया कि कलेक्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, उपखंड अधिकारी, तहसील कार्यालयों में इस संबंध में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं. यह नियंत्रण कक्ष 24 घंटे कार्यशील रहेंगे. कलेक्ट्रेट अजमेर जिले के लिए, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शहर अजमेर नियंत्रण कक्ष के प्रभारी, उपखंड मुख्यालय पर संबंधित उपखंड अधिकारी व तहसील मुख्यालय पर संबंधित तहसीलदार नियंत्रण कक्ष के प्रभारी होंगे, जो सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई करेंगे.

बालविवाह रोकथाम के लिए प्रशासन ने बनाई ठोस रणनीति

उन्होंने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के पूर्ववर्ती प्रयास जारी है. गांव-मोहल्लों में जागरूकता की जा रही है. उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की संभावना है वहां समन्वित रूप से समझाइश की गई है. बाल विवाह की रोकथाम हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायत समिति के ग्राम स्तरीय कार्मिकों प्रभावी कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. साथ ही पटवारी, ग्राम सेवक, अध्यापक आदि को बाल विवाह की आशंका होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने हेतु पाबंद किया गया है. वहीं चयनित स्थानों पर प्रशासन के समस्त अभिकरणो को विशेष नजर रखने की हिदायत दी गई है.

जिला मजिस्ट्रेट विश्व मोहन शर्मा ने बताया कि उपखंड अधिकारी, तहसीलदारों को निर्देशित किया गया है कि बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में सक्रिय रहकर बेहतर तरीके से कर्तव्यों का निर्वहन करें. जो अभिभावक बेटियों के विवाह के खर्च को वहन करने में सक्षम नहीं है और इस कारण बाल विवाह करवाते हैं, उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग और अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाए. प्रशासन ने सामूहिक विवाह को प्रोत्साहित करने हेतु प्रचार-प्रसार भी किया है.

इसके अलावा गांव के प्रमुख व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें बाल विवाह रुकवाने की जिम्मेदारी भी प्रदान की गई है. धार्मिक गुरुओं व विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के प्रधान को भी बाल विवाह के दुष्परिणाम एवं कानूनी प्रावधानों की जानकारी मुहैया करवाई गई है, ताकि वह इस कार्य में प्रशासन का सहयोग कर सकें.

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