अजमेर. सोमवार को सोमवती अमावस्या होने से पवित्र पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. महाभारत काल में पांडव सोमवती अमावस्या का इन्तजार करते-करते परम धाम पधार गए थे. सोमवती अमावस्या का कलयुग में भी विशेष महत्व माना गया है.
सोमवती अमावस्या पर पुष्कर सरोवर में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी - ajmer
महाभारत काल में जिस सोमवती अमावस्या का इन्तजार करते-करते पांडव परम धाम पधार गए उसी सोमवती अमावस्या का कलयुग में विशेष महत्व माना गया है. सोमवती अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने पुष्कर में सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की.
पुष्कर घाट पर श्रद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की. दिनभर सरोवर के तट पर पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहे. किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिंडदान किये, तो किसी ने पितरों को तर्पण देकर उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-पूण्य किया.
तीर्थ पुरोहितों के अनुसार सोमवती अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. पुरोहितों ने बताया कि शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या के इस दुर्लभ संयोग पर जो भी श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान कर पितरों का तर्पण करता है, उसको मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. इन्ही मान्यताओं के चलते सरोवर के सभी बावन घाटों पर दिनभर श्रद्धालुओं का मेला लगा रहा. वहीं मंदिरों और बाजारों में भी दिनभर रौनक बनी रही.