डॉ. संजय पुरोहित के हेल्थ टिप्स... अजमेर. साफ चमकता हुआ चेहरा हर किसी को अच्छा नहीं लगता. यदि चेहरे पर मुहांसे निकल आएं तो मानसिक और शारीरिक रूप से लोग परेशान रहते हैं. कई बार तो मुहांसे की समस्या लोगों में अधिक उम्र होने तक रहती है. चर्म रोग विशेषज्ञ संजय पुरोहित ने बताया कि शारीरिक विकास के लिए होने वाले शारीरिक परिवर्तन (हार्मोनल चेंजेज) के कारण मुंहासे होते हैं. मुहांसे 14 से 18 वर्ष तक की आयु वर्ग के लोगों में होते हैं.
18 वर्ष की आयु के बाद कई लोगों के मुहांसे ठीक हो जाते हैं, जबकि कई लोगों के मुहांसे की समस्या अधेड़ उम्र तक रहती है. डॉ. पुरोहित बताते हैं कि मुहासे चेहरे के अलावा सीने के ऊपरी हिस्से, कंधे, कान और उसके पीछे, सिर और पूरी पीठ तक हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह के मुहांसे की समस्या होती है. मसलन कई लोगों के चेहरे पर कड़क और मवाद रहित दाने हो जाते हैं तो कुछ लोगों को लाल रंग के मवाद वाले दाने निकल आते हैं. इनमें रोगी को दर्द भी होता है. वहीं, कुछ परिस्थितियों में रोगी के मवाद वाली बड़ी गठान का रूप ले लेती है जो काफी तकलीफ देय होती है. डॉ. पुरोहित बताते हैं कि त्वचा में चिकनाई युक्त ग्रंथि में रोके जाने पर मुहांसे की समस्या होती है.
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मुहांसे को लेकर लोगों में भ्रांतियां : चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय पुरोहित बताते हैं कि मुहांसे को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां होती हैं. कुछ लोग मुहांसे होने का कारण कब्ज मानते हैं तो कुछ तला भुना हुआ मसालेदार खाने से मुहांसे होने की वजह बताते हैं. मुहांसे के इलाज के लिए आने वाले कई लोग तो फेस वॉश या साबुन बदलने की वजह से मुहांसे होने का कारण बताते हैं, लेकिन यह सभी भ्रांतियां हैं.
मुहांसे होने पर ऐसा ना करें : डॉ. पुरोहित बताते हैं कि मुहांसे होने पर लोग कई तरह के घरेलू उपचार करने लगते हैं. कई लोग मुहांसे पर कच्चा दूध या दूध से बने प्रोडक्ट का उपयोग करते हैं, फिर भी परेशानी कम नहीं होती है, बल्कि कुछ दिनों बाद परेशानी और बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि कई लोग मुहांसों पर खीरा ककड़ी, ग्वारपाठा, शहद नींबू, आलू कभी उपयोग करते हैं. यह अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड बनाते हैं. इससे चेहरे को तत्कालिक फायदा होता है, लेकिन बाद में इसके दुष्परिणाम सामने आते हैं.
कई लोग तो मुहांसे पर बाम, लहसुन, लांग पीसकर लगा लेते हैं. इनसे त्वजा के जलने की सम्भावना रहती है. मुहांसे होने पर उनका बिल्कुल भी उपयोग नहीं करना चाहिए. डॉ. पुरोहित बताते हैं कि ब्लीचिंग एजेंट और इस्टीरॉइड युक्त क्रीम मुहांसे पर नहीं लगानी चाहिए. इससे तत्काल आराम आता है और चेहरा भी साफ होता है, लेकिन आगे चलकर यह त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाती है. जिससे चेहरे पर अनचाहे बालों में वृद्धि होती है, चेहरे पर छाया, कालापन आता है. धूप पड़ने पर चेहरा लाल पड़ जाता है. वहीं, कई बार त्वचा पतली हो जाती है.
हर्ब या आयुर्वेद के नाम पर लोग गुमराह नहीं हों : डॉ. पुरोहित बताते हैं कि बाजार में कई ऐसे प्रोडक्ट आते हैं, जो हर्ब और आयुर्वेद के नाम पर मुहांसे का इलाज बता कर बेचे जाते हैं. मुहांसे होने पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय पुरोहित बताते हैं कि बाजार में कई तरह के कॉस्मेटिक सौंदर्य प्रसाधन के नाम पर मिलने वाली ट्यूब और डिबिया राहत देने वाली नहीं होती है. इनमें से कई तात्कालिक रूप से राहत दे सकती हैं, लेकिन आगे चलकर इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं. उन्होंने बताया कि प्रकृति प्रदत्त स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है. इनके उपयोग करने से दुष्परिणाम स्वरूप जलन, खुजली, त्वचा में खिंचाव, पकाव वाली फुंसियां, त्वचा के लाल और काला पड़ना, चेहरे पर अनचाहे बालों में वृद्धि होने की समस्या उत्पन्न होती है. ऐसे में मुहासे के लिए चर्म रोग विशेषज्ञ के परामर्श से ही इलाज लेना चाहिए.