अजमेर.नगर निगम की ओर से शुक्रवार को धूमधाम से बादशाह की सवारी निकाली जाएगी. निगम परिसर में बादशाह की सवारी को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. बादशाह के लुटाने के लिए 2800 किलो लाल गुलाल की पुड़िया तैयार की जा रही है. मान्यता है कि नगर भ्रमण के दौरान बादशाह गुलाल की पुड़िया को खर्ची के रूप में आमजन पर लुटाते हैं.
शुक्रवार को अजमेर में बादशाह की सवारी नगर निगम की ओर से निकालने के लिए तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है. निगम परिसर में श्रमिक बादशाह के लिए लाल गुलाल की पुड़िया बना रहे हैं. नगर निगम के पूर्व उपायुक्त एवं वर्तमान में पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता ने बताया कि सन 1995 में तत्कालीन समय में नगर परिषद में भाजपा का बोर्ड था और सभापति वीर कुमार थे. वीर कुमार ने अजमेर में कई धार्मिक आयोजन शुरू किए थे. इनमें से ब्यावर की तर्ज पर बादशाह की सवारी का आयोजन अजमेर में भी शुरू किया गया.
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अतीत की यादों को ताजा करते हुए रलावता बताते हैं कि वीर कुमार ने अजमेर में रामलीला का मंचन, शारदीय नवरात्रि में गरबा और दशहरा महोत्सव, फागुन महोत्सव और बादशाह की सवारी निकालने की शुरुआत की थी. बादशाह की सवारी बैंड बाजों और ऊंट-घोड़ों के साथ नगर निगम से चूड़ी बाजार, नया बाजार चौपड़, आगरा गेट, महावीर सर्किल होते हुए सुभाष उद्यान संपन्न होती है. इस दौरान बादशाह की सवारी का शहर में कई जगह स्वागत होता है.
बदल गया बादशाह: रलावता बताते हैं कि अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल को जब ढाई दिन की बादशाहट मिली थी, तब उन्होंने नगर भ्रमण करते हुए अपनी प्रजा पर खूब धन लूटाया था. उस घटना की याद में ही ब्यावर में बादशाह की सवारी निकाली जाती है. उसी तर्ज पर अजमेर में 2 दिन बाद बादशाह की सवारी निकाली जाती है. नगर निगम के पूर्व उपायुक्त एवं पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता बताते हैं कि धर्मेंद्र गहलोत जब पहली बार नगर परिषद के सभापति बने, तब बादशाह को सम्राट अशोक कहा गया.