अजमेर. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची भी जारी कर दी है. अजमेर जिले के केकड़ी और पुष्कर से कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. खास बात यह है कि भाजपा की तरह कांग्रेस ने भी पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. केकड़ी से डॉ रघु शर्मा और पुष्कर से नसीम अख्तर पर पार्टी ने भरोसा जताया है.
कांग्रेस ने रविवार को जारी अपनी दूसरी सूची में 43 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. अजमेर जिले की बात करें तो केकड़ी से कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा और पुष्कर से पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर पर पार्टी ने दांव खेला है. दोनों ही कांग्रेस के पुराने चेहरे हैं. विगत चुनाव जीत कर डॉ रघु शर्मा केकड़ी से विधायक बने थे, जबकि पुष्कर से नसीम अख्तर चुनाव हार गई थी.
केकड़ी में ब्राह्मण प्रत्याशी : कांग्रेस और भाजपा ने केकड़ी में ब्राह्मण प्रत्याशी ही उतारे हैं. यहां कांग्रेस ने डॉ रघु शर्मा को रिपीट किया है. वहीं भाजपा ने भी शत्रुघ्न गौतम को मैदान में उतारा है. गौतम केकड़ी से विधायक रह चुके हैं. ऐसे में केकड़ी में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला जबरदस्त और रोचक होगा, हालांकि दोनों की ही गणित बिगाड़ने के लिए अभी और भी प्रत्याशी सामने आएंगे.
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पुष्कर में रावत और मुस्लिम प्रत्याशी : कांग्रेस के लिए पुष्कर डेढ़ दशक से अल्प संख्यक सीट बन चुकी है. यह बात और है कि यहां से नसीम अख्तर ने तीन बार चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 2008 का चुनाव ही नसीम जीत पाई थी. पुष्कर क्षेत्र रावत बाहुल्य है. यहां भाजपा ने दो बार से लगातार जीत हासिल कर चुके सुरेश सिंह रावत पर फिर से दांव खेला है. पुष्कर में भाजपा की तरह ही कांग्रेस ने भी जातिगत आधार पर ही नसीम अख्तर को उम्मीदवार बनाकर साफ कर दिया है कि जिले में एक सीट अल्पसंख्यक के खाते में रहेगी. डेढ़ दशक से पुष्कर से कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रत्याशी नसीम अख्तर पर दांव खेलती आई है. चौथी बार भी नसीम अख्तर ही कांग्रेस की प्रत्याशी हैं. इधर, भाजपा ने सुरेश सिंह रावत को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में दोनों ही चेहरे पुराने हैं. मगर दोनों की डगर आसान नही होने वाली है. बता दें कि पुष्कर हिंदुओं की सबसे बड़ी तीर्थस्थली है. ऐसे में यहां एक दशक से भाजपा हिन्दू कार्ड खेलती आई है, हालांकि इस बार भाजपा से दो बार लगातार जीत हासिल कर चुके सुरेश सिंह रावत के लिए भी राह आसान नहीं होने वाली है. यहां भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों को चुनौती अपनों से ही मिलने की संभावना है, हालांकि यहां भी कई लोग निर्दलीय प्रत्याशी बनकर अपना भाग्य आजमाने के लिए तैयार बैठे हैं.