अजमेर:पुष्कर हिंदुओं का एक बड़ा तीर्थ स्थल है. यहां बारहो मास श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बनती है, लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ब्रह्मनगरी की एक खास मिठाई खासा आकर्षित (Pushkar special sweets) करती है. जिसके मिठास की चर्चा देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है. चलिए अब आपको उस मिठाई का नाम भी बता देते हैं, जिसे खाने के बाद आप भी इसके दीवाने बन जाएंगे. इस लजीज और स्वादिष्ट मिठाई का नाम रबड़ी का मालपुआ है. स्थानीयों की मानें तो सौ साल पहले यहां एक (Pushkar Rabri Malpua) हलवाई ने पहली बार रबड़ी का मालपुआ बनाया था, जो सभी को बहुत पसंद आया था. आज आलम यह है कि पुष्कर आने वाला हर शख्स सबसे पहले इस मिठाई को खाता है, लेकिन सवाल उठता है कि भला क्यों यह मिठाई लोगों को इतना पसंद है.
सृष्टि के रचयिता जगतपिता ब्रह्माजी का पुष्कर में एक मात्र मंदिर है, जहां हर साल लाखों की तादाद में भक्त दर्शन को आते हैं. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार पुष्कर सभी तीर्थों का गुरु स्थल है. यही वजह है कि सदियों से यहां श्रद्धालु पूजा के लिए आते रहे हैं. वहीं, पुष्कर में समय के साथ कई चीजें यहां की परंपरा का हिस्सा बन गई. यहां की लोक संस्कृति, खानपान, पहनावा, उत्सव और मेले सभी में सतरंगी परंपरा का समावेश दिखता है. आज यहां रबड़ी के मालपुए पुष्कर की पहचान बन गए हैं. पुष्कर में दर्जनों मिठाई की दुकानें हैं, लेकिन इन दुकानों में सबसे ज्यादा बिकने वाली मिठाई रबड़ी के मालपुए ही हैं. जिसे एक बार चखने के बाद इसका स्वाद कभी नहीं भूला जा सकता है.
रबड़ी के मालपुए का इतिहास:तीर्थ नगरी पुष्कर का इतिहास आदिकाल से जुड़ा है, लेकिन पुष्कर का यह परंपरागत मिष्ठान रबड़ी के मालपुए का इतिहास 100 साल पुराना है. रबड़ी के मालपुए को सबसे पहले पुष्कर के ही हलवाई राधे किशन जाखेटिया ने बनाया था. उन्होंने नया प्रयोग करते हुए मालपुए को रबड़ी के मालपुए में तब्दील किया. पुष्कर में रबड़ी के मालपुए का लजीज स्वाद हलवाई राधे जी की ही देन है. आज यहां उनकी चौथी पीढ़ी पुष्कर में रबड़ी के मालपुए बनाकर बेच रही है.