अजमेर. तीर्थ गुरु पुष्कर में पवित्र सरोवर का जल अब दूषित (Pushkar lake polluted after fare) हो रहा है. मेले में बड़ी संख्या में आए श्रद्धालु घाट पर पूजन करते हैं. इस कारण सरोवर में पूजन सामग्री के साथ ही चढ़ावा और अन्य खाद्य सामग्री भी सरोवर और तटों पर फैली रहती है. इस कारण सरोवर का जल काफी दूषित हो गया है. इससे सरोवर के जल में पल रही हजारों मछलियों के जीवन पर (fishes dying due to polluted water in lake) भी संकट खड़ा हो गया है. सरोवर में स्नान के बाद पशु पक्षियों को दान धर्म के नाम पर सामग्री घाटों पर ही छोड़कर लोग चले गए. घाटों पर रखे अनाज के सरोवर में बहने से जल भी दूषित हो रहा है. हालात ये हैं कि जल को दूषित होने से बचाने के लिए स्थानीय नगर पालिका और प्रशासन की ओर से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. जबकि सरोवर में कई मछलियां दम तोड़ चुकी हैं.
भगवान ब्रह्मा की नगरी पुष्कर हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ा तीर्थ है. हाल ही में यहां पुष्कर मेला संपन्न हुआ है. 8 दिन चले मेले में करीब ढाई लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई. घाटों पर पशु-पक्षियों को दाना खिलाने वाले भी रहते हैं. स्नान के बाद घाटों पर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना भी की औऱ घाट पर ही मिलने वाले मक्का, बाजरा, ज्वार, और चावल की खिल्ली खरीद कर खिलाई. इस कारण सरोवर भी दूषित हो गया है. कमोबेश हर बार मेले के बाद यही स्थिति बनती है. बावजूद इसके घाटों पर अनाज और खाद्य सामग्री बिकना बंद नहीं कराया जा रहा है. मेले के दौरान तो इनकी बिक्री और बढ़ गई है.
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52 घाटों पर बिखरे अनाज के दाने
एक अनुमान के मुताबिक आठ दिन में घाटों पर करीब 10 लाख रुपए का अनाज और खाद्य सामग्री बिकी है. सरोवर के 52 घाटों पर मक्का, ज्वार, बाजरा बिखरा पड़ा है. जबकि सरोवर के जल में पूजन सामग्री चढ़ते हुए साफ नजर आ रही है. इतना ही नहीं कई लोगों ने तो सरोवर में पॉलिथीन भी डाल दी थी जिसकी सफाई भी फिलहाल नहीं की गई है. इससे सरोवर का जल दूषित हो रहा है, मगर जिम्मेदारों को इसकी कोई चिंता नहीं है. सरोवर में लाखों मछलियां हैं. जल के दूषित होने से सरोवर में ऑक्सीजन की कमी होना स्वभाविक है. ऐसे में मछलियों के जीवन पर संकट की आशंका बनी हुई है. बावजूद इसके पुष्कर सरोवर के घाट और उसके पानी पर तैरती गंदगी को साफ करवाने में नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन रुचि नहीं दिखा रहा है. खास बात यह है कि मेले के दौरान भी आस्था की आड़ में हो रही इस घोर लापरवाही पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदारों ने कोशिश भी नहीं की. जबकि प्रशासन, नगर पालिका और स्थानीय लोगों की सरोवर को साफ और स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी है.
मर रहीं मछलियां
तीर्थ यात्रियों की ओर से घाटों पर बिखेरे गए अनाज और सरोवर में डाली गई खाद्य एवं पूजा सामग्री से दूषित हुए जल में मछलियों भी दम तोड़ने लगी हैं. गंदगी की वजह से सरोवर के जल में ऑक्सीजन की अचानक कमी हो गई है जो मछलियों के लिए काल बन रही है.