कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने बताई सनातन विरोधियों की नई चाल के बारे में... पुष्कर (अजमेर). जगत पिता ब्रम्हा की नगरी में श्रावण मास की शुरूआत में पंडित प्रदीप मिश्रा ब्रह्म शिवपुराण की कथा के दूसरे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए. इस दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सनातन विरोधियों ने नई चाल चली है. इसके तहत नई पीढ़ी को मंदिर से दूर रखा जा रहा है.
कथा के दूसरे दिन कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने ब्रह्म शिवपुराण के साथ भगवान शिव की परिक्रमा की पूर्णता और सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए किए जा रहे षड्यंत्रों के बारे में जानकारी दी. पंडित मिश्रा ने कथा की शुरुआत ओम नमः शिवाय के जाप के साथ की. कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दुनिया ने सनातनियों को डराया कि हनुमान मंदिर में महिलाएं नहीं जा सकती हैं. भगवान शंकर के मंदिर में महिलाएं नहीं जा सकती. शंकर भगवान के रूप भैरव तो तंत्र मंत्र के उपासक हैं. इनकी उपासना महिला नहीं कर सकती. इस तरह का कई लोगों ने भ्रम फैलाया है. सनातन धर्म के जितने भी विरोधी हैं. वे ऐसे ही सनातन धर्म को तोड़ने की बात करते हैं.
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उन्होंने कहा कि विरोधी कहते हैं कि तुम मंदिर मत जाना, महिलाएं मंदिर नहीं जाएं, महिलाएं भगवान हनुमान के दर्शन नहीं करें. शंकर, भैरव समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर मत जाना. ऐसे लोग कई तरह के भ्रम फैलाते हैं कि भगवान शंकर के जल चढ़ाने से ऐसा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के पूर्व से विरोधी चले आ रहे हैं. वह हमको इस तरह से भगवान से दूर कर रहे हैं. जैसे-जैसे भगवान से दूरी बना ली, वैसे वैसे सनातन धर्म से आपका मन हटने लगा. सनातन धर्म से मन हटने लगा, तो दूसरे धर्म में मन जाने लगा. ऐसे भ्रमित लोगों को सनातन धर्म ठीक नहीं लगने लगता है.
सनातन धर्म को तोड़ने का नया विरोधःपंडित प्रदीप मिश्रा ने ब्रह्म शिवपुराण कथा के दूसरे दिन कहा कि सनातन धर्म के विरोधी सनातन धर्म को तोड़ने का नया विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के बेटा-बेटियों ने मंदिर जाना शुरू कर दिया है और भगवान शिव शंकर को एक लोटा जल भी चढ़ा रहे हैं. देशभर में सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है और लोगों ने मंदिर जाना शुरू कर दिया है, तो विधर्मियां ने नई चाल शुरू कर दी. सनातन धर्म के लोगों के कान में यह भर दिया कि मंदिर में ऐसे कपड़े पहनकर लड़की नहीं आए, वैसे कपड़े पहन कर लड़के नहीं आएं.
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उन्होंने चाल चल दी, अब लोग आपस में ही कह रहे कि मंदिर जाना है, तो यह कपड़े पहनकर नहीं जाएं. उन्होंने कहा कि भोलेनाथ कपड़ा नहीं, मन देखते हैं. शिव कपड़े से पसंद प्रसन्न नहीं होते. विधर्मियां की चाल के कारण नई पीढ़ी के बेटा और बेटी कपड़ों के कारण मंदिर जाना कम कर देंगे. बूढ़े लोग मंदिर जाएंगे और नौजवान लोग यह कहकर मंदिर जाने से इंकार करेंगे कि हम तो जीन्स और टीशर्ट पहने हैं. विधियों की चाल फिर से सफल हो जाएगी और नई पीढ़ी को मंदिर से दूर कर दिया जाएगा. उसके बाद नई पीढ़ी के बच्चों को दूसरे धर्म में भेज दिया जाएगा.
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इसलिए हुए भैरव प्रकटः पंडित प्रदीप मिश्रा ने काल भैरव की उत्पत्ति के बारे में कथा बताई. उन्होंने कहा कि भैरव भगवान शिव के अंश हैं. भगवान शिव ने आरव को ब्रह्मा का सिर काटने के लिए ही उत्पन्न नहीं किया था. एक बार माता लक्ष्मी ने भैरव को बैकुंठ में आमंत्रण दिया. माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा कि भगवान शिव ने भैरव को प्रकट क्यों किया. तब भगवान विष्णु ने बताया कि जब देवों के देव महादेव साधना में लीन हो जाते हैं, तब काल भैरव का दायित्व बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि जो श्रद्धालु भगवान शिव शंकर के मंदिर में जाता है और भगवान की पूजा अर्चना करता है. भैरव का कार्य होता है कि वह उस श्रद्धालु का दुख का भक्षण कर उसे सुख प्रदान कर भेजता है.
शिव की परिक्रमा का ऐसे मिलता है फलः पंडित मिश्रा ने कथा में बताया कि भगवान शिव शंकर की परिक्रमा कैसे करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि भगवान शंकर की परिक्रमा आधी होती है. परिक्रमा में शिवलिंग पर जलधारी को लांघना निषेध है. अर्ध परिक्रमा ऐसी करनी चाहिए कि भगवान शिव के साथ मंदिर के बाहर बैठे नंदी के भी दर्शन हो सकें. ऐसा करने से परिक्रमा का फल अवश्य मिलता है.