अजमेर. वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें महिलाओं ने अपनी मेहनत और योग्यता से सफलता के झंडे नहीं गाढ़े हों. महिलाएं जहां सेना में रहकर देश की सेवा कर रही हैं, वहीं पुलिस में रहकर समाज की सेवा भी कर रही हैं. लेकिन बावजूद इसके पुलिस महकमे में महिलाओं की संख्या काफी कम हैं. ईटीवी भारत ने अजमेर पुलिस थाने में महिलाओं की भागीदारी को लेकर पड़ताल की तो चौंकाने वाला सच सामने आया.
अजमेर पुलिस बेड़े में महज एक फीसदी महिलाओं की भागीदारी है. जबकि जिले में आधी आबादी महिलाओं की है. बता दें कि अजमेर के पुलिस बेड़े में 3 हजार 780 स्वीकृत पद हैं. इनमें पुरुषों की संख्या 3 हजार 10 है, जबकि महिलाओं की संख्या मात्र 338 ही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या महिलाओं का रुझान पुलिस सेवा में नहीं है ? या फिर अजमेर पुलिस में पुरुषों के अनुपात में महिलाओं के पदों की स्थापन कम की गई है.
अजमेर उत्तर क्षेत्र पदाधिकारी प्रियंका रघुवंशी ने बताया कि पुलिस से एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. खासकर महिलाओं के लिए परिवार बच्चों और काम के बीच संतुलन बनाना बहुत ही कठिन कार्य है. बावजूद इसके सन 2019 के बाद पुलिस बेड़े में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. बता दें कि 2009 से तमाम सरकारी भर्तियों में महिलाओं को 33 फीसदी कोटे का लाभ मिल रहा है. लिहाजा पुलिस महकमे में भी होने वाली भर्ती में महिलाएं अपनी जगह बना रही हैं. हालांकि कई महिलाएं भर्ती में सफल होने के बावजूद भी इस कठिन कार्य को छोड़ देती हैं. दरअसल, पुलिस के कार्य के समय में कोई निश्चितता नहीं है. वहीं अन्य महकमों की तरह कार्य का समय भी निर्धारित नहीं है.
इन समस्याओं के कारण महिलाएं नहीं करती पुलिस की नौकरी
साथ ही फील्ड जॉब में भी महिलाओं को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. इनमें सबसे बड़ी समस्या परिवार और बच्चों को समय नहीं दे पाने की रहती है. जिले में एक महिला थाना है. लेकिन महिला सेल नाम मात्र की है. कई बार महिलाओं को सामाजिक अवहेलनाएं भी झेलनी पड़ती है.
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महिला थाने में कामकाज का तरीका अलग
वहीं थानाधिकारी विद्या मीणा ने बताया कि महिला थाने का कामकाज अन्य थानों से बिल्कुल अलग है. थाने में मुकदमा दर्ज करने से पहले पति पत्नी के बीच समझाइश की जाती है. उसके बाद मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है. साथ ही कार्रवाई में 41 का नोटिस तामील करवाने के लिए भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.