नानी बाई का मायरा में जया किशोरी अजमेर.जिले के बिजयनगर शहर में श्याम मित्र मंडल के तत्वाधान में कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी नानी बाई का मायरे का वाचन कर रही हैं. कथावाचन के अंतिम दिन जया किशोरी ने प्रसंग सुनाया. उन्होंने बताया कि किस तरह नानी बाई का मायरा भरने के लिए भगवान श्री कृष्ण आए थे. साथ ही उन्होंने किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा और संस्कार का महत्व समझाया.
बच्चों को शिक्षित करने पर जोर दें :इस दौरान जया किशोरी ने कहा कि आज हम शिक्षा की बात इसलिए करते हैं क्योंकि अगर बच्चे शिक्षित नहीं होंगे, अपने पैरों पर खड़े नहीं होंगे तो उनको अन्याय सहना पड़ेगा. अगर घर की महिला शिक्षित नहीं होगी तो वह जीवन भर किसी न किसी पर निर्भर रहेगी. कभी पिता पर तो कभी पति पर. यहां मौजूद कोई भी भक्त यह नहीं चाहता है कि उसकी बेटी दुखी रहे. इसलिए पहले उन्हें शिक्षित करिए, अपने पैरों पर खड़ा होने दीजिए.
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उन्होंने कहा कि कई मां-बाप अपने बच्चों की शादी कर कहते हैं कि हमने गंगा नहा लिया. मैं उनसे कहना चाहती हूं कि शादी करना गंगा नहाना नहीं होता है. शादी तो लड़के-लड़की खुद भी कर सकते हैं. बिना माता-पिता को बताए भी शादी कर रहे हैं. मां-बाप का धर्म लड़के लड़की की शादी करवाना नहीं बल्कि उन्हें काबिल बनाना है. उन्हें संस्कार, भावना, नौकरी और पैसे सभी तरह से काबिल बनाएं. उनको इतना काबिल बनाएं कि मां-बाप के जाने के बाद भी वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते रहेंगे. जिस दिन माता-पिता अपने बच्चों को काबिल बना देंगे उस दिन वो गंगा नहा लेंगे.
गलत काम पर अंतरात्मा जरूर बोलती है :जया किशोरी ने बाप-बेटी के संबंध को लेकर कहा कि बाप व बेटी के संबंध अलग होते हैं. कोई भी बेटी लंबे समय तक अपने पिता से दूर रहती है तो आजकल मोबाइल और इंटरनेट से आसानी से बात कर सकते हैं. लेकिन जब नानी बाई अपने पिता से दूर रही थीं, आजकल की तरह के साधन नहीं थे. उन्होंने कहा कि अगर आप या आपके परिवार में कोई भी गलत काम करता है तो उस समय अंतरात्मा जरूर बोलती है. उस समय अंतरात्मा की आवाज को जरूर सुनना चाहिए. जबकि आजकल तो लोग दिखावा पसंद करते हैं. गलत काम करने पर भी कहते हैं कि यह काम तो चलता है, लेकिन यह लंबा चलने वाला नहीं है.
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संस्कार बाल्यकाल में डालने चाहिए : उन्होंने कहा कि अगर बच्चा बाल्यकाल में बिगड़ जाता है तो धोती पहनने तक नहीं सुधरता है. इसलिए बालकों में संस्कार डालिए. जिस उम्र में संस्कार दिए जाने चाहिए उस समय घर-परिवार वाले बच्चों के लिए कहते हैं कि अभी तो ये टाबर हैं. संस्कार बाल्यकाल में दिए जाते हैं. जया किशोरी ने भक्तजनों से सवाल जवाब करते हुए कहा कि यहां कितने लोग मौजूद हैं जिनको 10वीं और 12वीं की पढ़ाई याद है. इस पर कथा सुन रहे चंद लोगों ने हाथ खड़े किए. जबकि ए, बी, सी, डी कितनों को याद है पूछने पर सभी से हाथ उठाया. इसपर जया किशोरी ने कहा कि इससे साबित होता है कि बाल्यकाल की पढ़ाई आपको अभी याद नहीं है. उसी प्रकार बाल्यकाल में अगर संस्कार नहीं दिए तो कैसे युवावस्था में याद रहेंगे.
जया किशोरी को सुनने के लिए अंतिम दिन बिजयनगर सहित ग्रामीण क्षेत्र से काफी संख्या में भक्तजन पहुंचे. इस दौरान जया किशोरी ने जय-जय राधा रमण हरि बोल, थारो सांवरियो कब आसी, भगवान श्री राम, कृष्ण व मायरे से जुड़े भजनों की प्रस्तुति दी. इस दौरान पंडाल में बैठे श्रोता झूमने को मजबूर हो गए.