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अजमेर: मकरेडा तालाब में चली चादर, केमिकल युक्त पानी से मिलेगी निजात - byawar news

ब्यावर के मकरेडा तालाब से पानी की चादर चलने से क्षेत्रवासियों के चेहरे खिल उठे हैं. लोग यह दृश्य देखने के लिए बड़ी संख्या में तालाब के पास पहुंच रहे हैं.

makreda pond, अजमेर खबर

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Published : Aug 16, 2019, 9:28 PM IST

ब्यावर (अजमेर).पिछले कई घटों से ब्यावर क्षेत्र में बारिश का दौर जारी है. जिसके चलते कस्बे से 6 किलोमीटर दूर स्थित मकरेडा तालाब भर गया. आस पास के गावों की प्यास बुझाने वाले इस तालाब में पानी भरने से किसानों के चहेरे पर रौनक देखी जा रही है.

मकरेडा तालाब की चली पानी की चादर

प्रदेशभर में भारी बरसात के दौर के बीच ब्यावर उपखंड में आसपास के जलाशायों में पानी की भारी आवक हो रही है. जिसके कारण किसानों तथा शहरवासियों के चेहरे खिले हुए हैं. शुक्रवार को मकरेडा तालाब समीप लोगों ने उत्साह पूर्वक पानी की आवक पर जश्न मनाया. 2 सालों बाद पानी भरने पर हर किसी ने खुशी का इजहार किया और फसलों के विकसित होने की संभावना पर हर्ष जताया.

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दो साल बाद मकरेडा तालाब की चली चादर
ब्यावर शहर के निकटवर्ती ग्राम मकरेडा के तालाब में भी पानी की अच्छी आवक हो रही है. तालाब से पानी की चादर चल रही है. जिसे बड़ी संख्या में लोग तालाब की चादर देखने के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं क्षेत्रवासियों का कहना है कि दो वर्ष बाद तालाब की चादर चली है, जिसके कारण तालाब में भरा केमिकलयुक्त पानी बाहर निकल रहा है.

क्षेत्रवासी मदनसिंह ने बताया कि तालाब में आस पास की फेक्ट्रियो का केमिकलयुक्त पानी भरा होने के कारण आसपास के खेतों की जमीन खराब हो रही है, जिसके कारण किसान अच्छी फसल नहीं कर पा रहे हैं. इससे आस पास के गांव वालों को पीने के पानी के लिए भी टैंकर का सहारा लेना पड़ रहा है. उम्मीद है कि अब गांव वालों को राहत मिलेगी. क्षेत्रवासी विजेन्द्र दगदी ने बताया कि तालाब में पानी की आवक होने के कारण अब किसान भरपूर फसल ले सकेंगे.

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बता दें कि मकरेडा के इस तालाब के पानी से आसपास के गांवों के खेतों में बोई जाने वाले फसलों को फायदा होता है. किसान खेतों में बराबर दो फसले उगा सकते हैं. माना जा रहा है कि इस बार पानी की आवक से करीब 3000 बीघा जमीन सिंचित होगी. पानी भराव के कारण उक्त जमीन की सिंचाई के लिए दो साल तक के पानी की व्यवस्था उपयुक्त है. मकरेडा तालाब के पानी पर सराधना, गोपालपुरा, भगवानपुरा, मकरेडा, ब्यावर खास, लालपुरा समेत करीब दर्जन भर गांव निर्भर हैं.

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