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अजमेर के भिनाय में सदियों से चली आ रही गुर्जर समाज की ये परम्परा - गुर्जर समाज की खबर

अजमेर के भिनाय में दीपावली के दिन गुर्जर समाज अपने पूर्वजों का श्राद्ध मनाते हैं. जिसमें परिवार के नवजात शिशु से लेकर 100 साल के बुजुर्ग भी शामिल होते हैं. तर्पण के बाद लोग घर से बनाकर लाए भोजन का प्रसाद पूर्वजों को समर्पित करते हैं और खुद भी उसे ग्रहण करते हैं.

Gurjar Samaj celebrates the Shraddha of their ancestors on Deepawali, दीपावली के दिन गुर्जर समाज अपने पूर्वजों का श्राद्ध मनाते है

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Published : Oct 27, 2019, 3:10 PM IST

भिनाय (अजमेर). दीपावली के दिन भिनाय में गुर्जर समाज अपने पूर्वजों का श्राद्ध मनाते हैं. मान्यता है कि दीपावली के दिन गुर्जर समाज के बुजुर्गों का देवलोक गमन हुआ था. उसी के लिए समाज के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए याद करते हैं. समाज के लोग दीपावली के दिन झील या तालाब पर इकट्ठा होते हैं. वहां पर पानी में घास की बेल बनाकर उसका तर्पण करते हैं. जिसमें परिवार के नवजात शिशु से लेकर 100 साल के बुजुर्ग भी शामिल होते हैं.

दीपावली के दिन गुर्जर समाज अपने पूर्वजों का करते हैं श्राद्ध

तर्पण के बाद लोग घर से बनाकर लाए भोजन का प्रसाद पूर्वजों को समर्पित करते हैं और खुद भी उसे ग्रहण करते हैं. ये परम्परा गुर्जर समाज में सदियों से चली आ रही है. मसूदा कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में निवास कर रहे गुर्जर समाज की तरफ से अपने पूर्वजों को दीपावली की सुबह याद कर श्राद्ध मनाया जाता है.

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समाज के पांचूलाल, रामदेव नारायण, रामलाल, मेवालाल, सांवरलाल आदि ने बताया कि दीपावली के दिन प्रातः भोजन बनाकर सभी गुर्जर समाज के वृद्ध, युवक और बच्चे ग्राम में स्थित तालाब या सरोवर के किनारे जाकर प्रत्येक घर से आए भोजन में से हिस्सा निकालकर अपने पूर्वजों को तर्पण करते हैं. गुर्जर समुदाय के लोगों के अनुसार गुर्जर समाज पशुपालन व्यवसाय से जुड़ा हुआ है.

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कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में गुर्जर समाज अपने मवेशियों को चराने के लिए दूर क्षेत्र में चले जाते हैं. जिससे अपने पूर्वजों को श्राद्ध नहीं कर पाते है. गोवर्धन बाबा से अपने पूर्वजों को तर्पण देने से वंचित रह जाने के बात पूछने पर गोवर्धन बाबा ने दीपावली के दिन प्रातः सामूहिक रूप से सरोवर के किनारे श्राद्ध करने की बात कही, तभी से पूरे भारत में गुर्जर समुदाय अपने गांव के सरोवर के किनारे जाकर पूर्वजों का तर्पण करते आ रहे हैं.

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