अजमेर :मोदी सरकार ने देशभर में 'एक देश एक टैक्स' को लागू किया है. तब से लेकर अब तक मार्बल उद्योग में टैक्स चोरी बदस्तूर जारी है. एक ऐसा ही मामला जिले के किशनगढ़ में सामने आया है, जहां फर्जी इनवॉइस के जरिये टैक्स चोरी कर सरकार को करोड़ों का चुना लगाया जा रहा है.
दरअसल, मोदी सरकार ने पहले मार्बल व्यवसाय को 28 प्रतिशत GST के स्लैब में डाला था, जिसका काफी विरोध हुआ. बाद में इसको एक साल बाद 18 प्रतिशत GST की स्लैब में रखा गया. इसके बाद भी टैक्स चोरी थमी नहीं, बल्कि टैक्स चोरी करने वालों ने टैक्स चोरी का नया तरीका निकाल लिया. इस कारण ऐसे लोग भी जीएसटी के दायरे में आ गए जिनका दूर-दूर तक मार्बल व्यवसाई से कोई नाता नहीं है.
अजमेर में जीएसटी टैक्स चोरी का खुलासा इस तरह हो रही है टैक्स की चोरी
असल में मार्बल कारोबारियों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिये फर्जी बिलों का सहारा लिया है. यह फर्जी बिल मार्बल का नहीं होकर अन्य वस्तुओं का होता है, जो कि 5 प्रतिशत GST स्लैब में आते थे. करोड़ों रुपयों के 5 प्रतिशत बिलों को 18 प्रतिशत मार्बल बिलों में एडजस्ट कर दिया जाता है. यानी जो टैक्स सरकार को मार्बल से 18 प्रतिशत मिलना था. वो महज केवल 5 प्रतिशत मिल रहा है. यह टैक्स चोरी तब सामने आई जब इनपुट मिसमैच हुआ. उसके बाद सारे मामले का खुलासा हुआ है.
टैक्स चोरी में मार्बल मंडी की बड़ी फर्मों ने अपने फायदे के लिये फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों के नाम फर्म खुलवाकर करोड़ों रुपयों की टैक्स चोरी की है. ऐसे पीड़ितों ने आपबीती बताते हुए मार्बल व्यवसायी राजराम अग्रवाल और मनोज शर्मा का नाम उजागर किया है. उन्होंने बताया कि किस तरह लालच देकर उनको टैक्स चोरी के मामले में फंसाया गया.12 हजार रुपये महीने की तनख्वाह पाने वाले को सरकार ने करोड़ों रुपये का टैक्स कर देने का नोटिस भेजा है. इसको लेकर पीड़ितों में हड़कंप मचा हुआ है. अब वे पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
वहीं, विधायक सुरेश टाक ने इस मामले में चिंता जाहिर की है. मीडिया से बात करते हुए टांक ने बताया कि रोजाना इस तरह के पीड़ित जनसुनवाई में अपनी आपबीती लेकर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में असली गुनहगारों पर कार्रवाई होनी चाहिए न की निर्दोषों पर.