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ग्रामीणों की कोरोना से जंग: 4 संक्रमित मरीज मिलने के बाद तिलोरा ग्राम पंचायत के लोग अब ऐसे लड़ रहे लड़ाई

नागौर सीमा से सटी अजमेर जिले की तिलोरा ग्राम पंचायत में 8 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. ज्यादातर ग्रामीण खेती करते है और कुछ लोग रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों का भी रुख करते हैं. अभी तक यहां 4 ग्रामीण कोरोना से संक्रमित मिल चुके हैं. ऐसे में कोरोना वायरस से बचने के लिए यहां क्या इंतजाम और सावधानियां बरती जा रही है, इसका जायजा लेने आज ईटीवी भारत तिलोरा ग्राम पंचायत पहुंचा...

fight against Corona, गांवों में कोरोना
अजमेर जिले की तिलोरा ग्राम पंचायत से ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Jun 21, 2020, 8:57 PM IST

अजमेर.जिले के ज्यादातर गांव प्यासे है. हर साल पानी की किल्लत से ग्रामीण और शहरी लोग परेशान रहते हैं. करोना काल में लोग अपने घरों में यहां भी कैद रहे लेकिन क्या गांवों में ग्रामीण कोरोना से बचने के लिए उचित उपाय अपना रहे हैं?आज ईटीवी भारतनागौर जिले की सीमा से सटी तिलोरा ग्राम पंचायत पहुंचा. इस ग्राम पंचायत की आबादी साढ़े 8 हजार से ज्यादा है. गांव में ज्यादातर किसान परिवार रहते हैं. 300 से ज्यादा लोग गुजरात मुंबई और दक्षिण राज्यों में काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं. गांव में फूलों की खेती खासकर गुलाब की पैदावार होती है.यहां खेतों में तारबंदी के लिए सीमेंट के पिलर बनाने का काम भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. करीब 1 हजार से ज्यादा लोग इन कामों से रोजगार पाते हैं.

अजमेर जिले की तिलोरा ग्राम पंचायत से ग्राउंड रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौरान तिलोरा ग्राम पंचायात और आसपास के गांवों में भी फुलवारी की पैदावार करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है. फूलों के ग्राहक नहीं मिलने की वजह से फसल खेतों में ही सूख गई. यहां पिकअप गाड़ी की बॉडी बनाने का भी काम होता है. जिससे लोगों को रोजगार मिलता है, जो कि फिलहाल बंद है.

पंचायत में अब तक चार कोरोना संक्रमित मरीज

नागौर सीमा से सटी तिलोरा ग्राम पंचायत में रहने वाले ग्रामीण कोरोना से इन दिनों मुकाबला कर रहे हैं. ग्राम पंचायत के किशनपुरा गांव में अब तक 4 कोरोना वायरस से पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं. हालत की गंभीरता को देखते हुए यहां ग्रामीण अलर्ट पर हैं. कुछ दिन पहले तक जो लोग कोरोना वायरस और लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं ले रहे थे. ऐसे लोग भी अब सभी सरकारी गाइडलाइंस की पालना कर रहे हैं.

तिलोरा ग्राम पंचायत

सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क

सोशल डिस्टेंसिंग और मुंह पर मास्क लगाना यहां तिलोरा ग्राम पंचायत के ग्रामीण नहीं भूलते हैं. पंचायत के सरपंच समंदर सिंह रावत कहते हैं कि लॉकडाउन के पहले ही दिन से ही ग्रामीणों को मास्क वितरित किए गए थे. इसके साथ ही ग्रामीणों को कोरोना वायरस से निपटने और उससे बचाव की भी जानकारी दी गई थी. घर-घर लोगों को जागरूक किया गया था.

कोरोना काल में गांव की सूनी गलियां

पंचायत द्वारा किए गए प्रयास

उन्होंने कहा कि, ग्राम पंचायत की ओर से गांव को कई बार सैनिटाइज भी किया गया है, साथ ही लॉकडाउन के दौरान खाद्य सुरक्षा योजना के अलावा भामाशाह की मदद से गरीब वर्ग के लोगों को भोजन उपलब्ध करवाया गया. सरपंच ने कहा कि लॉकडाउन के दौारन गांव में बाहर से आने वाले लोगों को गांव के बाहर ही क्वॉरेंटाइन में रखा गया. इसके अलावा बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच और स्क्रीनिंग की व्यवस्था भी की गई.

सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए दुकान के बाहर खड़े ग्रामीण

क्या कहना है सरपंच का?

सरपंच रावत ने बताया कि सरकारी मदद के अलावा उन्होंने खुद के खर्चे से भी लोगों की मदद की. सरपंच ने कहा कि कोरोना वायरस की गंभीरता को देखते हुए हमने गांव वालों के बात की हम सब ग्रामीणों ने मिलकर कोरोना को हराने के लिए ठाना. सभी ग्रामीणों ने मिलकर तय किया की जब तक कोरोना वायरस से राहत नहीं मिलती गांव से ना तो कोई बाहर जाएगा और ना ही किसी को अंदर आने दिया जाएगा.

चार कोरोना संक्रमित मरीज सही हुए

उन्होंने कहा कि जरूरत की सामग्री घरों तक पहुंचाने के लिए एक समिति बनाई गई. सरपंच समंदर सिंह रावत ने बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी गांव में लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग की पालना और मास्क लगाने की अनिवार्यता के बारे में निरंतर जागरूक किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि गांव में दो बड़े स्कूल हैं जिनमें करीब 28 कमरे हैं, इसके जहां जरूरत पड़ने पर लोगों को क्वॉरेंटाइन किया जा सकता है. सरपंच ने कहा, जागरूकता और सामूहिक प्रयासों से वर्तमान में तिलोरा ग्राम पंचायत कोरोना मुक्त हो चुकी है पूर्व में जो चार मरीज गुजरात और मुंबई से आए थे वह भी ठीक हो चुके हैं.

तिलोरा ग्राम पंचायत के ग्रामीण फूलों की खेती से ज्यादा ज्यादा जुड़े हैं

ग्रामीणों द्वारा किए गए प्रयास

ग्रामीण किशन सिंह ने बताया कि गांव में फूलों की तैयार फसल नहीं बिकने से किसानों को नुकसान हुआ है. किसान नुकसान से उभर नहीं पा रहे हैं. वहीं रोजगार के लिए लोग गांव से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि बाहर जाने के लिए कोई साधन नहीं है. एक अन्य ग्रामीण शैतान सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए ग्राम पंचायत के प्रयासों से गांव में कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए है, इनमें लोग बाहर से आने वाले लोगों की सूचना देते थे. गांव में घुसने से पहले ही सभी की स्क्रीनिंग करवाई जाती है. वहीं पूर्ण लॉकडाउन के दौरान गांव की सीमाओं पर युवा चौकसी करते थे. वर्तमान में भी बाहर से आने वाले लोगों पर निगरानी रखी जा रही है.

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तिलोरा ग्राम पंचायत में कोरोना से जंग में ग्राम पंचायत और ब्राह्मणों के अलावा शिक्षकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है. बाहर से आने वाले लोगों को होम आइसोलेशन पर रखकर उनकी निगरानी शिक्षकों की ओर से की जा रही है. वर्तमान में 8 संदिग्ध लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया है. शिक्षक हरेंद्र चौधरी कहते हैं कि गांव में लॉकडाउन के दौरान BLO सर्वे के अनुसार खाद्य सामग्री का वितरण ग्राम पंचायत के सामंजस्य के साथ किया गया. गांव में हर जरूरतमंद कर खाना पहुंचाया गया है. हलांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस में मिली राहत के क्वॉरेटाइन सेंटर बंद कर दिए गए हैं.

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हमारी पड़ताल में तिलोरा ग्राम पंचायत के लोग कोरोना महामारी को लेकर जागरूक हैं. यहां पर 4 कोरोना संक्रमित मरीज मिले थे जो कि फिलहाल सही हो चुके हैं. लेकिन लाकडाउन 5.0 में मिली छूट के बाद यहां लोग आम जिंदगी जी रहे हैं. ऐसे में ग्रामीणों को अभी भी सतर्क और अलर्ट रहने की जरूरत है.

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