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तमाम सुविधाओं के बावजूद जरूरतमंद नहीं ले पा रहे रैन बसेरे का 'आसरा', देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

अजमेर में 7 स्थाई रैन बसेरे नगर निगम की ओर से संचालित हैं. इनमें सर्दी से बचने सहित मनोरंजन और अन्य सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में जरूरतमंद लोग इन सेवाओं का उपयोग करने से महरूम हैं. ईटीवी भारत ने इन रैन बसेरों का जायजा (Ground reality of rain basera in Ajmer) लिया, तो सामने आया कि जागरूकता की कमी और प्रचार प्रसार के चलते लोग यहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.

Ground reality of rain basera in Ajmer, needs awareness to fully utilized
तमाम सुविधाओं के बावजूद जरूरतमंद नहीं ले पा रहे रैन बसेरे का 'आसरा', देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Dec 19, 2022, 12:47 PM IST

रेन बसेरों में क्यों नहीं पहुंच रहे जरूरतमंद...

अजमेर. नगर निगम की ओर से संचालित स्थाई 7 रैन बसेरों में माकूल व्यवस्थाएं होने के बावजूद भी रात को रुकने वाले लोगों की संख्या काफी कम है. खासकर इन रैन बसेरों में ठहरने वालों में महिलाओ की संख्या ना के बराबर है. जागरूकता और प्रचार-प्रसार के अभाव में महत्वपूर्ण जनउपयोगी सुविधा से बेसहारा और निर्धन लोग कम ही लाभ उठा पा रहे हैं. ईटीवी भारत ने रात को इन रैन बसेरों का जायजा लिया तो सामने आया यह (Ground reality of rain basera in Ajmer) सच...

प्रदेश में सर्दी अब अपना रंग दिखाने लगी है. दिन और रात के तापमान में काफी कमी आई है. यही वजह है कि लोग भी अब सर्दी से बचने का जतन करने लगे हैं. लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं जो खुले आसमां के नीचे जीवन बसर करने को मजबूर हैं. कुछ लोग मजबूरी में परिवार से दूर दो जून की रोटी कमाने के लिए शहर में रह रहे हैं, लेकिन उनके पास भी उतना पैसा भी नही होता कि वो किराए का मकान ले सकें. ऐसे लोगों के लिए एक मात्र सहारा रैन बसेरा होता है. अजमेर में यूं तो 365 दिन 7 रैन बसेरे संचालित हो रहे हैं, लेकिन सर्दियों में इनकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है.

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ईटीवी भारत ने इन रैन बसेरों का जायजा लिया, तो पाया जागरूकता की कमी के चलते यहां तक जरूरतमंद लोग नहीं पहुंच पाते हैं. वहीं जिम्मेदार संस्था नगर निगम की ओर से भी इन रैन बसेरों की जानकारी के लिए कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया रहा है. यही वजह है कि सर्दी के दौर में भी अधिकांश रैन बसेरों में बेड खाली ही नजर आ रहे हैं. जबकि यहां लोगों के लिए सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं. खास बात यह है कि इन रैन बसेरों में महिलाओं की संख्या ना के बराबर है. जबकि महिलाओं के रहने के लिए अलग से व्यवस्था भी है.

व्यवस्थाएं माकूल पर उपयोग कम: प्रबंधक मुकुट कुमार शर्मा ने बताया कि दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत अजमेर में 7 स्थाई रैन बसेरे (आश्रय स्थल) हैं. इन आश्रय स्थलों को स्वंय सेवी संस्था को ठेके पर दिया गया है. इन 7 आश्रय स्थल में 396 लोगों के रुकने की व्यवस्था है. बंकर पलंग, तकिया, बिस्तर, रजाई, पीने के लिए पानी, मनोरंजन के लिए टीवी, शौचालय एवं स्नान घर हैं. इसके अलावा सर्दी से बचने के लिए अलाव के लिए सुखी लकड़ी है. वहीं कुछ आश्रय स्थलों पर रूम हीटर भी लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि नगर निगम की ओर से लगातार मॉनिटरिंग की जाती है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी विशेष इंतजाम हैं. आश्रय स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे भी हैं.

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शर्मा ने बताया कि निगम की ओर से आगामी सोमवार को अभियान शुरू किया जा रहा है. इसके तहत सड़क डिवाइडर और बंद दुकानों के बाहर रात्रि को सोने वाले लोगों को आश्रय स्थल तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे लोग जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था भी आश्रय स्थल में करवाई जाती है. रात में 5 आश्रय स्थल के समीप इंदिरा रसोई संचालित की जा रही है. खास बात यह है कि संस्था के प्रयास से लोग घरों में काम ना आने वाले कपड़े भी यहां छोड़ जाते हैं ताकि उनका उपयोग निर्धन व्यक्ति कर सकें.

तमाम सुविधाओं के बावजूद भी लोगों की संख्या है कम: आश्रय स्थलों में रहने की तमाम मूलभूत सुविधाएं होने के बावजूद भी लोग आश्रय स्थल में कम ही नजर आ रहे हैं. ईटीवी भारत में जब आश्रय स्थलों का जायजा लिया तो पाया कि ज्यादातर पलंग खाली ही हैं. पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि जागरूकता की कमी की वजह से लोग आश्रय स्थल तक नहीं पहुंच पाते हैं. वहीं आवश्यक प्रचार नहीं होने से भी लोगों को आश्रय स्थल के बारे में पता नहीं चल पाता है. जबकि जिन लोगों को आश्रय स्थल और यहां की सुविधा के बारे में जानकारी है वह इसका लाभ भी उठा रहे हैं.

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शहर में यहां है स्थाई आश्रय स्थल:अजमेर में पड़ाव क्षेत्र में आश्रय स्थल हैं जिसकी क्षमता 76 लोगों के रहने की है. अजमेर क्लब के पास आजाद पार्क के सामने आश्रय स्थल में जहां 60 लोगों के रहने की व्यवस्था है. देहली गेट स्थित झूलेलाल मंदिर के सामने आश्रय स्थल की क्षमता 60 व्यक्तियों के रहने की है. जेएलएन अस्पताल परिसर में बनाए गए आश्रय स्थल में 50 लोगों के रुकने की व्यवस्था है. कोटडा स्थित प्राइवेट बस स्टैंड परिसर में मौजूद आश्रय स्थल में भी 50 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है. इसी तरह चाचियावास रोड स्थित जनाना अस्पताल में 50 और जेएलएन अस्पताल के हृदय रोग विभाग के समीप आश्रय स्थल में 50 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है. इन सभी आश्रय स्थलों में महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था हमेशा रहती है.

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