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यहां एक-दूसरे पर फेंकते हैं जलते पटाखे, पाबंदी के बाद भी जारी है 'अंगारों का खेल'

अजमेर के केकड़ी में दीपावली के अगले दिन घास भैरव की सवारी निकाली जाती (Ghas Bhairav sawaari in Kekri Ajmer) है. इसी के साथ पटाखे भी चलाए जाते हैं. इन्हें लोग एक-दूसरे पर फेंकते हैं. इस खेल में कई बार लोग घायल हो चुके हैं. प्रशासन ने पटाखे फेंकने पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन 'अंगारों का यह खेल' आज भी जारी है. पढ़िए यह रिपोर्ट...

Ghas Bhairav sawaari in Kekri Ajmer, People threw crackers on each other even after ban
यहां एक-दूसरे पर फेंकते हैं जलते फटाखे, पाबंदी के बाद भी जारी है 'अंगारों का खेल'

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Published : Oct 22, 2022, 6:18 PM IST

Updated : Oct 23, 2022, 11:59 AM IST

अजमेर. दीपावली के अगले दिन केकड़ी में घास भैरव की सवारी निकाली जाती है. वर्षों से यह परंपरा कायम है. हालांकि बीते कुछ सालों में इस सवारी के दौरान पटाखे चलाने की परंपरा (People threw crackers on each other in Ajmer) जुड़ी. ये इतनी विकृत हुई कि लोग इन पटाखों को एक-दूसरे पर फेंकने लगे. कारण महज मनोरंजन. इस खतरनाक खेल में हर बार लोग घायल होते हैं. प्रशासन ने पाबंदी लगा रखी है, पर उल्लंघन बदस्तूर जारी है.

दीपावली के अगले दिन जहां गोवर्धन पूजा की जाती है, वहीं केकड़ी में देर शाम केकड़ी कस्बे में घास भैरव की सवारी निकालने की वर्षों पुरानी परंपरा है. बड़ी संख्या में लोग घास भैरव की सवारी में जुटते हैं. पहले घास भैरव के आगे आतिशबाजी की जाती थी. धीरे-धीरे लोग एक-दूसरे पर मजे के लिए पटाखे फेंकने लगे. अब हालात यह हैं कि घास भैरव की सवारी के दौरान लोग एक-दूसरे पर जलते हुए खतरनाक पटाखे फेंकते हैं और आनंद लेते हैं. इस खतरनाक खेल में लोगों को यह कतई परवाह नहीं है कि उनके द्वारा फेंके गए जलते हुए पटाखे से जनहानि भी हो सकती है.

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एक दशक से है पाबंदी:स्थानीय प्रशासन ने इस खतरनाक खेल पर प्रतिबंध भी लगा रखा है. गत वर्ष तो पुलिस ने लाठियां फटकार एक-दूसरे पर पटाखे फेंक रहे लोगों को खदेड़ा भी था. इस बार दीपावली के अगले दिन सूर्य ग्रहण होने की वजह से गोवर्धन पूजा का सूतक खत्म होने के बाद होगी. यानी 25 अक्टूबर को ग्रहण है, तो अगले दिन 26 को घास भैरव की सवारी निकाली जाएगी.

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ऐसे शुरू हुआ खतरनाक अंगारों का खेल: बताया जाता है कि घास भैरव की सवारी निकालने की परंपरा 100 वर्ष से अधिक पुरानी है. केकड़ी के पुराने कस्बे में गणेश प्याऊ के समीप से घास भैरव की सवारी निकाली जाती है, जो पुराने कस्बे में घूमती हुई वापस देर रात तक गणेश प्याऊ के समीप पहुंचती है. घास सवारी के साथ पहले बैल भी शामिल होते थे. बैलों को हरकत में लाने के लिए उनके पैरों में छोटे पटाखे फोड़े जाते थे.

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पिछले ढाई दशक से इस परंपरा का रूप बदरंग होता चला गया. अब घास भैरव की सवारी में बैल नहीं होते. लेकिन लोगों ने रोमांच बढ़ाने के लिए अब एक-दूसरे पर पटाखे फेंकना शुरू कर दिया है. घास भैरव की सवारी के दौरान कस्बे की लाइट बंद कर दी जाती है, क्यों​कि असामाजिक तत्व पत्थर मार स्ट्रीट लाइट फोड़ देते हैं. अंगारों का यह खेल रात के अंधेरे में होता है. घास भैरव की सवारी में अब कस्बे की लोग ही नहीं बल्कि आसपास क्षेत्र के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में भाग लेने लगे हैं. इस कारण लोगों की संख्या भी काफी रहती हैं.

Last Updated : Oct 23, 2022, 11:59 AM IST

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