पुष्कर (अजमेर).भारत के करोड़ों लोगों की आस्था के तमाम प्रमुख केंद्रों में से एक स्थान पुष्कर का भी है. पुष्कर ही एक मात्र ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां 'ब्रह्माजी' का मंदिर है. मंदिर के पास स्थित पुष्कर सरोवर में स्नान और यहां के मंदिरों के दर्शन का विशेष महत्व पुराणों में बताया गया है. हर साल यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाले मेले के दौरान लाखों लोग यहां आकर स्नान करते हुए खुशहाली की कामना करते हैं. लेकिन वर्तमान में हिंदू आस्थाओं के सबसे प्राचीन तीर्थ पुष्कर इन दिनों प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक मौन का दंश झेल रहा है.
सरोवर के बेहतर संरक्षण और सौंदर्यकरण को लेकर हर स्तर पर दावे तो तमाम किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर ये दावे उतर नहीं सके. पुष्कर सरोवर की दुर्दशा को लेकर यहां के तीर्थ पुरोहित और सामाजिक संगठन के लोग कई बार नाराजगी जता चुके हैं, लेकिन पुष्कर की नगर पालिका और प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. लापरवाही किस कदर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरोवर कि ऊपरी सतह पर बहकर किनारे पर आई मृत मछलियों के निस्तारण को लेकर भी स्थानीय प्रशासन गंभीर नहीं है (Pushkar Sarovar Water is Polluted).
जलदाय विभाग ने खबरें प्रसारित होने के बाद 1 हफ्ते के बाद सरोवर के लिए जलापूर्ति शुरू की है लेकिन मछलियां के मरने का सिलसिला जारी है. प्राचीन तीर्थ पुष्कर इन दिनों प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक मौन के दंश झेल रहा है. तीर्थ पुरोहित और सामाजिक संगठन कई बार प्रशासनिक स्तर पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं पर तमाम आश्वासनों के बाद भी हालात बदतर बने हुए हैं. दूसरी ओर नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन घोर लापरवाही दिखा रहा है. सरोवर के ऊपरी सतह पर बहकर किनारे पर आई मृत मछलियों के निस्तारण को लेकर भी स्थानीय प्रशासन गंभीर नहीं है. मृत मछलियां सरोवर के किनारे दुर्गंध का कारण बन रही है पर प्रशसान ने मछलियों को वहां से हटाने का कोई कदम नहीं उठाया है.