अजमेर.सवर्ण समाज के पिछड़े तबके को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया था. अब ईडब्ल्यूएस आरक्षण को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की मांग जोर पकड़ रही है. अजमेर में सोमवार को ईडब्ल्यूएस वर्ग की ओर से प्रेस वार्ता की गई, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, कायस्थ, सिंधी समेत अन्य ईडब्ल्यूएस वर्ग की जातियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे. इस दौरान ईडब्ल्यूएस आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारी राजीव शर्मा ने बताया कि 20 जनवरी, 2019 को अनारक्षित वर्गों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी किया गया था.
इसमें भूमि भवन से संबंध जटिल शर्तों को रखा गया है. इसके कारण अनारक्षित वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा था. वहीं, प्रशासनिक अधिकारी भी इन जटिल शर्तों के कारण ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रमाणपत्र पात्रों को जारी नहीं कर पा रहे थे. इन जटिलताओं को देखते हुए राज्य सरकार ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण से जुड़ी व्यावहारिक शर्तों का सरलीकरण किया. उसके बाद 20 अक्टूबर, 2019 को नोटिफिकेशन जारी कर ईडब्ल्यूएस आरक्षण से भूमि और भवन से संबंधित सभी शर्तों का सरलीकरण कर आर्थिक पिछड़ा वर्ग को राहत प्रदान की थी.
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शर्मा ने बताया कि राजस्थान सरकार ने ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की वैधता को एक वर्ष से बढ़कर तीन वर्ष कर दिया है. साथ ही अनुप्रति कोचिंग योजना, डीबीटी वाउचर योजना और इंजीनियरिंग सेवा में ईडब्ल्यूएस की आयु सीमा में 5 वर्ष और महिलाओं को 10 वर्ष की छूट दी गई है. इधर, केंद्र सरकार की नौकरियों में ईडब्ल्यूएस पात्र अभ्यर्थियों को कोई छूट नहीं दी गई है, जिसके कारण ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों को जटिल शर्तों से होकर गुजरना पड़ता है.
ऐसे में अब EWS आरक्षण संघर्ष समिति ने केंद्र की मोदी सरकार से राजस्थान सरकार की तर्ज पर आरक्षण की जटिलता को सरल करने की मांग की है. समिति के पदाधिकारी राजीव शर्मा ने बताया कि देश की जनसंख्या में बहुत बड़ा हिस्सा अनारक्षित वर्ग का है. वहीं, क्षत्रिय समाज के पदाधिकारी महेंद्र सिंह कड़ेल ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संघर्ष समिति की मांग को राजस्थान के सांसद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाएं. ईडब्ल्यूएस वर्ग की मांग पूरी नहीं की गई तो समिति के बैनर तले आंदोलन किया जाएगा.
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सरलीकरण को बनाया मुद्दा -अजमेर में ईडब्ल्यूएस आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले हुई प्रेस वार्ता में अनारक्षित समाज के जो प्रतिनिधि शामिल रहे, उनमें ज्यादातर कांग्रेस में सक्रिय हैं. इनमें भी ज्यादातर लोग आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ के गुट से थे, जिनमें मुख्य रूप से राजीव शर्मा, डॉ. सुरेश गर्ग, विवेक पाराशर, महेंद्र सिंह कड़ेल, डॉ. लाल थदानी, राजेश आनंद और कल्पना भटनागर हैं.