अजमेर के अस्पताल में स्थिति... अजमेर. राइट टू हेल्थ बिल का प्राइवेट अस्पताल के संचालक विरोध कर रहे हैं. वहीं, उनके समर्थन में रेजिडेंट डॉक्टर्स भी हड़ताल कर रहे हैं. हालात यह हैं कि संभाग का सबसे बड़ा जेएलएन अस्पताल का ओपीडी मरीजों से खाली हो गया है, जबकि आपातकालीन वार्ड में गुरुवार को मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिली. इन मरीजों को देखने वाले चिकित्सकों की संख्या भी महज चार है. खास बात यह है कि इन चिकित्सकों में भी कोई वरिष्ठ चिकित्सक नजर नहीं आया है.
संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई है. अस्पताल में ओपीडी दो घंटे ओपीडी के बाद चिकित्सक अपने घर लौट गए. ओपीडी में मरीज चिकित्सा के लिए तरसते रहे. दूर-दूर से आए मरीज शारीरिक और आर्थिक रूप से परेशान नजर आए. इधर आपातकालीन इकाई में मरीजों का दबाव अन्य दिनों की अपेक्षा 5 गुना बढ़ गया. आपातकालीन इकाई कम वह ओपीडी ज्यादा नजर आ रही थी.
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मरीज का दो घंटे से पहले नंबर नहीं आ रहा. मरीज एंबुलेंस में ही अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए. अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम ऐसा था कि मरीज फर्श पर बैठकर या लेटकर कराह रहे हैं. जिम्मेदार छुट्टी माना रहे हैं. अस्पताल में अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता समेत कोई भी वरिष्ठ चिकित्सक नहीं है. वरिष्ठ चिकित्सकों के मातहत तीन रेजिडेंट आपातकालीन वार्ड में है. इनमें से एक डॉक्टर की ब्यावर से ड्यूटी लगाई है.
आम दिनों में 1100 से 1200 रहती है ओपीडी : जेएलएन अस्पताल में आम दिनों में भी 1100 से 1200 मरीज ओपीडी में आते हैं. इसके अलावा 200 के लगभग शिशु रोग विभाग की ओपीडी में हर रोज मरीज आते है, लेकिन इन दिनों वो मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. ऐसे में ओपीडी में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है. ज्यादातर मरीज मौसमी बीमारियों से ग्रस्त है. वहीं, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज भी अस्पताल आ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने की वजह से उन्हें परेशान होकर वापस लौटना पड़ रहा है.
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यह बोले मरीज : पीसांगन से अपनी बहन और भतीजे को लेकर आए राजेश कुमार ने बताया कि उनका 23 वर्षीय भतीजा मानसिक रूप से बीमार है. बार-बार उसे तान की शिकायत हो रही है. खाना-पीना भी उसने छोड़ दिया है. पहले मनोरोग विभाग में उसे दिखाने के लिए गए थे, जहां से उसे इमरजेंसी इकाई में भेज दिया. इधर-उधर भटकने के बाद करीब आधे घंटे से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
राजेश ने कहा कि इमरजेंसी यूनिट में आने वाला हर मरीज परेशान हो रहा है, यहां मरीजों की लंबी कतार देखने को मिली. उन्होंने अस्पताल प्रशासन से मांग की है कि व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर मरीजों को राहत दे. अजमेर में हजारीबाग निवासी प्रेम बेलदारी का काम करती है. बीमार होने के कारण रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है. अस्पताल में 4 दिन भर्ती रही और चिकित्सक के कहने पर आज दोबारा परामर्श लेने के लिए वह अस्पताल आई. मरीज प्रेम की हालत अब भी ठीक नहीं है. पति मजदूरी के लिए गया है और वह अकेली अस्पताल में इलाज नहीं मिलने पर घबराकर अस्पताल की बेंच पर ही लेट गई है. क्योंकि उसे वापस जाने के लिए हिम्मत जुटाना है.
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बीमार होने से नव से रोजगार मिल पा रहा है और अस्पताल आने पर उसे इलाज भी नहीं मिला है. श्रीनगर निवासी किसान गोपाल कहार ने बताया कि सर्दी, खांसी, जुकाम और सीने में दर्द की उसे शिकायत हो रही है. वह इलाज के लिए अपनी पत्नी के साथ अजमेर आया, लेकिन यहां ओपीडी में चिकित्सक नहीं है. कोई भी कुछ नहीं बता रहा है. दो घंटे से वह इंतजार कर रहा है कि शायद कोई चिकित्सक आ जाए और उसे देख ले. देखते-देखते ओपीडी पूरी तरह से खाली हो गई है. आने-जाने में बस का 150 रुपये किराया लगा और यहां आने पर उपचार भी नहीं मिल रहा है. शरीर कमजोर है, इसलिए अस्पताल में ही बैठ गया है. कुछ जान आए तो वापस लौट सकें.