अजमेर.कोरोना के कारण सारे त्योहार फीके पड़ गए हैं, लेकिन कोरोना भाई-बहन के अटूट प्रेम को कमजोर करने में असफल रहा है. अजमेर में बहनें अपने भाइयों की कलाई सजाने के लिए राखियां खरीद रही हैं. खास बात यह है कि बहनों ने इस बार भाई की कलाई पर देश में ही बनी राखी बांधने का निश्चय किया है.
अजमेर में स्वदेशी राखियों की मांग त्योहारी सीजन के बावजूद बाजारें सूनसान हैं. कोरोना के कारण लोग घरों में ही कैद हैं, लेकिन संकट कितना भी बड़ा क्यों ना हो, भाई-बहन के अटूट प्रेम के सामने हर संकट बौना ही रहता है. यही वजह है कि कोरोना संक्रमण काल में जहां लोग घर से बाहर निकलने में कतरा रहे हैं.
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ऐसे वक्त में बहने घर से निकलकर भाई के लिए राखी खरीदने बाजार आ रही हैं. बाजार में राखियों की सैकड़ों दुकानें सजी हैं, लेकिन इस बार इन राखियों में चीनी राखियां नजर नहीं आ रही हैं. गलवान हमले का असर बाजारों में बिकने वाले चीनी उत्पादों पर भारी पड़ा है.
अजमेर में स्वदेशी राखी की भारी मांग दुकानदारों ने दुकान से हटाई चीनी राखियां...
राखी खरीदने आई बहनें दुकानदार से पहले ही पूछ रही है कि चीनी राखियां तो नहीं है. आमजन की भावना को समझते हुए दुकानदारों ने पहले से ही अपने दुकान से चीनी राखियां हटा दी है. नया बाजार चौपड़ स्थित राखी के दुकानदार राहुल बताते हैं कि कलकत्ता, मुंबई से राखियां मंगाई गई हैं. साथ ही स्वयं में स्थानीय स्तर पर वे राखियां बनवाकर बेच रहे हैं.
ग्राहकों का कहना स्वदेशी राखी होती है सुंदर... ग्राहक नहीं खरीद रहे चाइनीज राखी...
ग्राहक स्वयं दुकान में घुसने से पहले ही बता रहे हैं कि उन्हें चाइनीज राखी नहीं चाहिए. एक ग्राहक अर्चना पंवार ने बताया कि स्वदेशी राखियां बहुत ही सुंदर और आकर्षित होती हैं. साथ ही उनकी कीमत भी ज्यादा नहीं है.
स्वदेशी राखियों की भारी डिमांड... यह भी पढ़ें.Special : रक्षाबंधन पर कोरोना का 'ग्रहण'...बहनें खुद बना रहीं राखियां
वहीं एक अन्य ग्राहक पिंकी परिहार का कहना है कि भाई की कलाई पर इस बार स्वदेशी राखी ही सजेगी, चीनी राखी तो बिल्कुल नही. उन्होंने बताया कि वह पांच साल से एक जगह से राखी खरीद रही है लेकिन इस बार यहां आने पर पहले दुकानदार से पूछा कि चीनी राखी तो नहीं है, तब ही राखियां खरीदी हैं.