अजमेर. कोरोना महामारी ने लोगों को जीवन पर बुरा प्रभाव डाला है. सबसे बुरा असर छोटे कारीगरों पर पड़ा है. अजमेर के बांस की टोकरी बनाने वाले कारीगरों की आर्थिक हालत खराब है. कारीगरों का कहना है कि बिक्री ना होने से दो जून की रोटी का प्रबंध करना भी मुश्किल हो गया है.
केसरगंज चटाई मोहल्ले में रहने वाली भागवती और मंजू बताती हैं कि बांस की टोकरी बनाने वाले कारीगरों के परिवार इस वक्त अपने लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी संघर्ष कर रहे है. रोज की जरूरतों को पूरा करने लायक पैसा भी उनके पास जमा नहीं हो पा रहा. इन परिवारों की रोजी-रोटी बांस की बनी टोकरी ऊपर ही निर्भर करती है. ऐसे में रोजी रोटी कमाने के लिए इन टोकरियों को औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है.
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भगवंती बताती हैं कि 40 रुपए की टोकरी को 10 रुपए में बेचना मजबूरी बन चुका है. बांस की कीमतें भी बढ़ चुकी है. जिससे बाजार में आसानी से बांस भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा. ऐसे में उनके पास रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी पैसा नहीं है. किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए बेहद कम कीमतों पर टोकरी बेचकर गुजारा कर रहे हैं.