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कोरोना काल में ‘ग्रेनाइट‘ ने खोई अपनी चमक, उद्यमियों के सामने खड़ा हुआ आर्थिक संकट - corona impact on granite trade

कोरोना की मार ग्रेनाइट व्यापार पर भी पड़ी है. केकड़ी के ग्रेनाइट की चमक अब फीकी हो चली है. जिसकी वजह से ग्रेनाइट उद्यमियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. यही नहीं सरकार की घोषणा के बाद भी बैंक व फाइनेंस विभाग भी ग्रेनाइट उद्यमियों को राहत नहीं दे रहा है.

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कोरोना की भेंट चढ़ा ग्रेनाइट व्यापार

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Published : May 31, 2020, 8:29 PM IST

केकड़ी (अजमेर). केकड़ी का ग्रेनाइट पत्थर देश ही नहीं विदेश में भी मशहूर है, लेकिन ये एकलसिंहा का ग्रेनाइट पत्थर कोरोना काल में अपनी पहचान खो चुका है. कोरोना में ग्रेनाइट खदानों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. ग्रेनाइट उद्यमी भी कोरोना के चलते कर्ज में डूब गए हैं. जिस समय ग्रेनाइट उद्योग का सीजन था, उस समय कोरोना के कहर ने ग्रेनाइट खनन की भी कमर तोड़ दी है. वहीं रही सही कसर बैंकिंग व फाइनेंस विभाग ने पूरी कर दी है. जिसके चलते ग्रेनाइट उद्यमियों को अपनी किश्त चुकाने के लिए मजबूर कर दिया गया है.

कोरोना की भेंट चढ़ा ग्रेनाइट व्यापार

बता दें कि सरकार की ओर से सभी बैंकिंग व फाइनेंस विभाग को 6 महीने की किश्त के लिए रियायत दी गई है. इसके बावजूद भी मजबूरन फाइनेंस विभाग किश्त वसूल रहा है. ग्रेनाइट उद्योग से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही है. जिससे उनके ग्रेनाइट कारोबार को फिर से उठने में एक साल से भी अधिक समय लग जाएगा. उनका कहना है कि उनका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. जिसके चलते उनके सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है.

विदेशों तक जाता है ग्रेनाइट

एकलसिंहा में करीब दो दर्जन ग्रेनाइट खदानें वर्तमान में संचालित हो रही है. राजस्थान के कई उद्यमियों ने यहां अपनी खदानें संचालित कर रखी हैं. यहां से पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी माल एक्सपोर्ट होता है. बता दें कि यहां का ग्रेनाइट इटली, चीन, अरब व वियतनाम में भी जाता है. एकलसिंहा से ग्रेनाइट किशनगढ़, चितौड़गढ, उदयपुर सहित अन्य जगह भी जाता है.

दो माह में 7 करोड़ का कारोबार प्रभावित

ग्रेनाइट उद्यमी विकास टहलानी ने बताया कि एकलसिंहा ग्रेनाइट क्षेत्र से रोजाना करीब 1200 टन माल अन्य शहरों को जाता है. यहां से करीब रोजाना 12 लाख का कच्चा माल जाता है. इसके बाद गैंगसा में जाकर पत्थर को चीर कर ग्रेनाइट टाइलें बनती है. उन्होंने बताया कि दो माह में ही ग्रेनाइट उद्योग से करीब 7 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ है.

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ग्रेनाइट उद्यमियों पर पड़ी मार

कोरोना के चलते व्यापार पूरी तरह से बंद है. खदान मालिकों को मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. इसके अलावा दो माह तक विद्युत बिल का सरचार्ज भी वसूला गया है. जिसमें सरकार की ओर से कोई रियायत नहीं दी गई. इसके अलावा डेट रेन्ट का पैसा भी मार्च में लाॅकडाउन की वजह से बंद होने के चलते लैप्स हो गया है. वहीं बैंक व फाइनेन्स की ओर से लगातार मशीनरी सहित अन्य लोन की किश्त वसूली जा रही है. उद्यमियों ने छः महीने तक बैंक ब्याज व किश्त में राहत दिलाने की मांग भी की है. उन्होंने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द राहत प्रदान करे.

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