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कोरोना ने बदला राखी के त्यौहार का अंदाज

रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. यह भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला त्यौहार है. यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और लम्बी आयु की कामना करती हैं.

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राखी के त्यौहार का अंदाज बदला-बदला सा

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Published : Aug 3, 2020, 6:45 PM IST

केकड़ी (अजमेर). राखी का त्योहार भाई-बहन का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है. एक धागे की डोर भाई की कलाई पर बहन बांधती है तो भाई उसे वचन देता है कि हर सुख-दुख, जीवन के हर उतार-चढ़ाव में वो अपनी बहन की मदद करेगा.

रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. यह भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला त्यौहार है. यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती है और लम्बी आयु की कामना करती. वहीं भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं. भाई बहन को राखी बांधने के बाद उपहार देते हैं. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते रक्षाबंधन के दिन लोग बाजारों में कम संख्या में नजर आए.

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बसों में रक्षाबंधन के दिन महिलाओं के लिए मुफ्त सुविधा होने के बावजूद भी कम संख्या में महिलाएं नजर आई. बस स्टैंड परिसर में काफी कम संख्या देखी गई. कई बसें तो खाली नजर आई. कोरोना ने राखी के त्योहार को भी प्रभावित किया है, लेकिन पर्व को लेकर लोगों में उत्साह कम नहीं हुआ है. केकड़ी में सुबह से ही देर शाम तक शुभ मुहूर्त में बहनों ने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर त्योहार मनाया.

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