अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज का सालाना उर्स जल्द ही शुरू होगा. इसे लेकर तैयारियां पूरी हैं लेकिन इसी दरमियान दो पक्षों के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. (Ajmer Sharif Urs 2023). अंजुमन कमेटी के सचिव ने प्रशासन को पत्र लिखकर बरेलवी उलेमाओं की दरगाह में कट्टरपंथी तकरीर और नारेबाजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने सोशल मीडिया पर बयान भी जारी किया है. दूसरी और चिश्ती के बयान को लेकर स्थानीय बरेलवी आला हजरत के अनुयायियों ने अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती को ही पाबंद करने की मांग प्रशासन और पुलिस से उठाई है. उनका आरोप है कि चिश्ती कौमी माहौल को खराब करना चाहते है.
विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती 811 वा उर्स नजदीक है (Khwaja Garib Nawaz URS 2023). उर्स के दौरान दरगाह परिसर में होने वाली तकरीरों में कई उलेमा सलाम और तकरीर पेश करते हैं. इनमें बरेलवी उलेमा भी शामिल हैं. इसी पर दरगाह अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती को आपत्ति है. उन्होंने प्रशासन से बरेलवी उलेमाओं की तकरीर और नारेबाजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इनकी तकरीर से माहौल खराब होता है.
चर्चा में चिश्ती का वीडियो- चिश्ती ने अपना एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी जारी किया है. इसको लेकर भी वह निशाने पर आ गए हैं. वीडियो में चिश्ती कह रहे हैं कि दुनिया को मालूम है कि दरगाह में हर धर्म जाति के लोग आते हैं. लिहाजा यहां किसी भी तरह की नारेबाजी न हो. उन्होंने कहा कि यहां कुछ संस्था से जुड़े लोग तकरीर के साथ नारेबाजी भी करते हैं जिस वजह से पहले भी माहौल बिगड़ा है इसलिए मेरी अपील है कि दरगाह में ऐसी कोई हरकत न करें जिससे कि यहां की छवि खराब हो.
'कुछ लोग विवाद न पैदा करें'-चिश्ती ने कहा कि यहां पर नबी और रसूल की शान में ही सलाम पढ़ा जाता है, इसके अलावा यहां कोई भी सलाम नहीं पढ़ा जाता इसलिए यहां कोई भी अपने-अपने सलाम पढ़कर विवाद पैदा न करें. उन्होंने बताया कि सन 2018 में भी इस तरह की रिपोर्ट पुलिस और प्रशासन को दी गई थी. सन 2022 को भी प्रशासन को पत्र लिखा गया था और इस बार भी प्रशासन को पत्र लिखकर बरेलवियों की तकरीर और नारेबाजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है ताकि किसी किस्म का माहौल खराब न हो और भगदड़ न हो.
फतवे का भी किया जिक्र- चिश्ती ने कहा कि हर खानखाह, हर दरगाह के सदस्य से गुजारिश है कि यहां नबी और रसूल के अलावा कोई भी कलाम और सलाम न पढ़ा जाए. जब दरगाह में रोका जाता है तो बेवजह के फतवे हम पर लगाए जाते हैं. हमारी छवि बिगाड़ने की कोशिश की जाती है. बिना वजह के आरोप लगाए जाते हैं. सभी लोगों को दरगाह के मान सम्मान का ख्याल रखना चाहिए.