कलाकारों ने मांडणा से बनाया श्रीराम का धनुष कोदंड अजमेर.श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. सात दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस पर्व को राम भक्त अपनी ओर से विशेष बनाने में लगे हुए हैं. इस क्रम में तीर्थराज गुरु पुष्कर में लोक कला संस्थान और अजमेर के आठ राजस्थानी मांडणा कलाकारों ने कुछ विशेष किया है. उन्होंने पवित्र सरोवर के ग्वालियर घाट पर 300 फीट लंबा और 18 फीट चौड़ा श्रीराम का धनुष कोदंड को बनाया है.
लोक कला संस्थान के पदाधिकारी संजय कुमार सेठी ने बताया कि पवित्र सरोवर के ग्वालियर, इंद्र और चंद्र घाट पर 6 घंटे के प्रयास से भगवान श्री राम के धनुष कोदंड का चित्रण लोक कला मंडन के माध्यम से किया गया . अजमेर के आठ कलाकार इनमें शामिल हुए जिनमें खुद संजय, प्रजेष्ठ नागोरा, मनोज प्रजापति, अक्षरा माहेश्वरी, निकिता, गरिमा इंदौरा, दुर्गा गुर्जर, कृतिका शर्मा, प्रकाश नागोरा, अंकुर कुमावत और दीक्षा शर्मा शामिल है. सेठी ने बताया कि भगवान श्री राम का प्रिय धनुष कोदंड है. उस धनुष की प्रतिकृति के रूप में विशाल चित्रांकन किया गया है. खास बात यह है कि यह चित्रांकन राजस्थानी लोक कला मांडणा के माध्यम से किया गया है. देश में सबसे बड़ा भगवान श्री राम का धनुष कोदंड का चित्रांकन पहली बार पुष्कर में हुआ है. 6 घंटे के अथक प्रयासों से यह पूरा बन पाया है.
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300 फीट लंबा और 18 फीट चौड़ा कोदंड :उन्होंने बताया कि 300 फीट लंबा और 18 फीट चौड़ा श्री राम धनुष का निर्माण पुष्कर के पवित्र सरोवर के ग्वालियर, इंद्र और चंद्र घाट पर किया गया. इस विशाल कलाकृति को देखकर तीर्थ यात्री ही नहीं बल्कि विदेशी मेहमान भी हैरान नजर आए. कई लोगों को पहली बार राजस्थानी लोक कला मांडणा के दर्शन करने का मौका मिला. सेठी ने बताया कि विशाल कलाकृति के निर्माण में 20 किलो पांडू, 10 किलो गेरू, 5 किलो पेवड़ी और 10 किलो रंगोली काम में ली गई है. प्राकृतिक रंगों से सुसज्जित भगवान श्री राम के धनुष कोदंड की प्रतिकृति कलाकारों की ओर से एक भेंट स्वरूप है. उन्होंने कहा कि रामलला के मंदिर में जाने के उपलक्ष में ही भगवान श्री राम का धनुष कोदंड को मांडणा कला के माध्यम से बनाया गया है. इस कलाकृति को बनाने का एक और उद्देश्य यह भी है कि राजस्थानी लोक कला मांडणा की पहचान पूरे विश्व में हो सके.
श्री राम ने पिता का किया था श्राद्ध : पुष्कर के पवित्र सरोवर के वराह घाट के प्रधान पंडित रविकांत शर्मा ने बताया कि ब्लॉक में आठ बैकुंठ हैं. इनमें चार दक्षिण भारत में और चार उत्तर भारत में स्थित है. इनमें उत्तर में साक्षात पुष्कर राज सरोवर है. सरोवर का जल नारायण स्वरूप है. यहीं पर जगत पिता ब्रह्मा ने यज्ञ किया था. अत्रि मुनि के कहे अनुसार भगवान श्री राम अपने पिता दशरथ का श्राद्ध करने के लिए यहां आए थे. उन्होंने बताया कि यह सरोवर आदि अनादि काल से हैं. पुष्कर स्वंय प्रतिष्ठित तीर्थ है. भगवान श्री राम का यहां आना और अपने पिता दशरथ का श्राद्ध करना एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक घटना थी.