अजमेर. भारत में कई तीर्थस्थान हैं, जहां सभी धर्मों के लोगों की आस्था है. ऐसा ही अजमेर का विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है, जहां सभी धर्मों के लोग भारी संख्या में अपनी मन्नत लेकर दरगाह पर माथा टेकने पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण ख्वाजा गरीब नवाज का दरगाह बंद था. अब 7 सितंबर से दरगाह खुला है तो जायरीनों के साथ ही यहां के व्यापार को गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज को चाहने वालों की कोई कमी नहीं है. हर दिन हजारों जायरीन का अजमेर आना जाना लगा रहता था, जो आस्था से जुड़ी चीजों का दिल खोलकर खरीदारी करते थे. जिसकी वजह से करोड़ों का व्यापार अजमेर में हो रहा था. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर आने वाले मेहमानों की वजह से कई तरह की व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही थी. दरगाह क्षेत्र, गंज, डिग्गी बाजार, क्लॉक टावर, मदार गेट में करीब साढे़ 400 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट संचालित हो रहे थे. उसके अलावा टूर ऑपरेटर्स, ऑटो, टैक्सी सहित हजारों दुकानों पर व्यापार दरगाह आम जायरीन के बंद हो जाने के बाद ठप पड़ा था.
व्यापार में बरकत की उम्मीद...
72 दिन तक व्यापारी हाथ पर हाथ धरे बैठे थे. लंबे अरसे से व्यापार ठप होने की वजह से कई लोगों की आर्थिक हालत कमजोर हो चुकी थी. राज्य सरकार के निर्देश के बाद सोमवार अलसुबह आम जायरीन के लिए दरगाह खोल दी गई है. दरगाह खुल जाने से जहां व्यापारियों में खुशी का माहौल है. व्यापारियों को उम्मीद जगी है की दरगाह खुलने के बाद अब मेहमानों की आवाजाही भी शुरू हो जाएगी, जैसे उनके व्यापार में फिर से बरकत होने लगेगी.
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दरगाह क्षेत्र में दुकान लगानेवाले दुकावनदार घनश्याम राम राखियानी कहते हैं कि अभी उम्मीद यही है कि धंधा-व्यापार सब आगे बढ़ेगा. वहीं, जब ट्रेन चलने लगी तो और ज्यादा फर्क देखने को मिलेगा. धीरे-धीरे सबको रोजगार मिलेगा, वहीं उन्होंने बताया कि पहले दिन अच्छे खासे लोग आए हैं. जुम्मे की नमाज में ज्यादा लोग आएंगे.