अजमेर.तीर्थ नगरी पुष्कर में सावन मास में सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व है. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने उमड़ पड़ी हैं. सरोवर में स्नान के बाद पूजा अर्चना कर श्रद्धालु जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन के लिए लाइन में खड़े हैं.
पुष्कर में सावन मास में सोमवार को आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. सोमवती अमावस्या का काफी विशेष महत्व है. सोमवती अमावस्या का धार्मिक पौराणिक महत्व है. यही वजह है कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे. पुष्कर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का सरोवर 52 घाटों पर तांता लगा है. श्रद्धालुओं की भारी आवक को देखते हुए पुष्कर नगरपालिका ने पहले से ही सरोवर में गहराई को प्रदर्शित करते हुए लाल झंडी आग लगा दी है. सरोवर के घाटों पर हर आयु वर्ग के लोगों ने सोमवती अमावस्या का स्नान किया. स्नान के उपरांत श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त तीर्थ पुरोहितों से तर्पण, पिंडदान, सरोवर की पूजा अर्चना करवाई. उसके बाद जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन कर श्रद्धा अनुसार दान पुण्य किया.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या पर पितरों के निमित्त तीर्थ गुरु ब्रह्मा पुष्कर में दर्पण, पिंड दान आदि अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करवाने से घर में सुख, शांति समृद्धि बनी रहती है. पंडित पाराशर बताते हैं कि पुष्कर सरोवर में 12 महीने पितरों के निमित्त पूजा-अर्चना होती है. अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और अन्य अनुष्ठान करने का विशेष महत्व है. लेकिन सोमवती अमावस्या पर पितरों के लिए अनुष्ठान करने से 100 गुना फल की प्राप्ति होती है.
सोमवती अमावस्या का महत्व :तीर्थ पुरोहित पंडित हरि गोपाल पाराशर बताते हैं कि महाभारत युद्ध में मारे गए लोगों की आत्मा शांति के लिए पिंडदान करने के लिए पांडव पुष्कर आए थे. सोमवती अमावस्या पर विशेष मुहूर्त होने के कारण वह पुष्कर में रहकर सोमवती अमावस्या का इंतजार करने लगे. महीनों इंतजार करने के बाद कलयुग के आगमन से पहले बिना पिंडदान किए हुए पांडव पुष्कर से हिमालय की ओर निकल गए. जाने से पहले पांडवों ने सोमवती अमावस्या को श्राप दिया था कि कलयुग में सोमवती अमावस्या वर्ष में कई बार आएगी. ताकि श्रद्धालुओं को तीर्थ गुरु पुष्कर में पितरों के निमित्त तर्पण आदि अनुष्ठान कर सकें.