केकड़ी (अजमेर). केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के सापला गांव में भगवान द्वारकाधीश की धार्मिक नगरी सापला में दीपावली के दूसरे दिन ऐतिहासिक गाय मेला भरता है. जिसको देखने के लिए राजस्थान ही नहीं अपितु हिंदुस्तान के कोने-कोने से लोग आते हैं. यहां गाय दौड़ती हुई मंदिर में जाती है और भगवान के परिक्रमा करके लड्डू खाकर वापस आती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो ग्रामीण भगवान की सेवा में कमी मानते हुए पुजारियों के हाथ बांधकर गोपाल महाराज को लाने वाले भक्त दामोदर दास जी की स्थली पर जाकर क्षमा याचना करते हैं.
यह परंपरा राजा-महाराजाओं के जमाने से 600 साल से चली आ रही है. दीपावली पर गाय ठीकरा नहीं आती है तो समूचे क्षेत्र में त्योहार नहीं मनाया जाता है. द्वारिकाधीश गोपाल महाराज की पावन तीर्थ नगरी सांपला में दीपावली के दुसरे दिन अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होता है. इस दौरान ऐतिहासिक गाय मेले का आयोजन होता है. जिसमें हजारों गाये भाग लेती हैं. हजारों गायों में से एक गाय भगवान के विमान के नीचे से होकर निकलती है और 1 किलोमीटर से अधिक दूरी तक दौड़कर भगवान के मंदिर तक पहुंचती है.
गाय भगवान गोपाल महाराज के मंदिर के परिक्रमा करके मंदिर के बाहर रखा लड्डू खाकर आती है. अगर ऐसा होता है तो इसे क्षेत्र के लिए अच्छा माना जाता है और अगर ऐसा नहीं होता है तो माना जाता है कि अकाल पड़ता है. इस सुप्रसिद्ध गाय मेले को देखने के लिए देश-प्रदेश से लाखों लोग आते हैं और दिन भर रामा श्यामा का दौर चलता है.
इस दिन द्वारकाधीश गोपाल महाराज के मदिंर में मिश्र प्रह्लाद चंद्र त्रिपाठी द्वारा मदिंर के महंत ओम प्रकाश शर्मा व पूजारी बृजराज शर्मा पुरुषोत्तम शर्मा दीपक शर्मा श्याम सुंदर शर्मा कालू मुकेश शर्मा रामप्रसाद शर्मा महावीर शर्मा धर्मी चंद शर्मा को विधि विधान के साथ हवन करा कर पंचामृत व जनेऊ धारण कराई जाती है. हवन समाप्त होने के बाद ढोल नगाडों व वीर घटाओं की मधुर स्वर लहरियों के बीच भगवान द्वारकाधीश का विमान रवाना होता है जो मुख्य बाजार होता हुआ रावला चौक पहुंचता है, जहां पर राजपूत समाज के गुप्त भक्त चांदकवर, अहिल्याबाई, श्यामा, सुभद्वा, व गौमतीकवंर, व राजपूत समाज के भक्त रतन सिंह राण्या को परम्परागत रूप से चत्काकारी झांकी के रूप में दर्शन दिये जाते हैं.