अजमेर. पुलिस रेंज के 4 जिलों में साल 2022 में 38 हजार 900 के करीब मामले दर्ज किए गए. वहीं, एनडीपीएस के तहत 400 मुकदमे दर्ज हुए हैं. इनमें 63 हजार किलों मादक पदार्थ जब्त कर नष्ट किए गए. ये जानकारी आईजी रूपिंदर सिंघ (Ajmer IG Rupinder Singh Press Conference) ने बुधवार को अपने कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी. आईजी सिंघ ने जिलेवार साइबर थाने स्थापित होने और पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश 15 जनवरी से दिए जाने को लेकर भी चर्चा की.
अजमेर पुलिस रेंज आईजी रूपिंदर सिंघ ने बताया कि रजिस्ट्रेशन फ्री होने के कारण प्रकरणों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन वास्तविक रूप से अपराधों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक और नागौर जिले में साल 2022 में कई प्रकृति अपराधों में 38 हजार 926 मामले 27 दिसंबर तक दर्ज किए गए हैं. इनमें सर्वाधिक केस अजमेर में 13 हजार 199 दर्ज किए गए, जबकि टोंक जिले में सबसे कम 6 हजार 770 केस दर्ज हुए हैं. भीलवाड़ा में 10 हजार 504 और नागौर जिले में 8 हजार 453 मुकदमे दर्ज किए गए.
26 फीसदी रही पेंडेंसी: आईजी सिंघ ने बताया कि नवंबर-दिसंबर के महीने में विशेष अभियान चलाकर मामलों के निस्तारण के प्रयास किए गए हैं. इसमें पुलिस को खासी सफलता हासिल हुई है. अजमेर रेंज में नए और पुराने मामलों को लेकर 25 फीसदी लंबित प्रकरण रह गए हैं. पेंडेंसी के आंकड़े देखें तो अजमेर जिले में सबसे ज्यादा 29 फीसदी प्रकरण लंबित है, जबकि सबसे कम प्रकरण नागौर जिले में 16 फीसदी लंबित है. भीलवाड़ा जिले में 33 प्रतिशत और टोंक जिले में 21 प्रतिशत प्रकरण लंबित है.
63 हजार किलो ग्राम मादक पदार्थ किया नष्ट: उन्होंने बताया कि अजमेर रेंज पुलिस ने एनडीपीएस के मामलों में भी अच्छी कार्रवाई की है. अजमेर रेंज में एनडीपीएस एक्ट के तहत 400 के लगभग प्रकरण दर्ज किए गए हैं. इसमें 543 लोगों को गिरफ्तार किया गया. वहीं, 63 हजार किलोग्राम मादक पदार्थ भी जब्त कर उसे नष्ट किया गया.
बातचीत में उन्होंने कहा कि ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. सरकार ने प्रत्येक जिले में साइबर थाने खोलने का निर्णय लिया है उस दिशा में काम हो रहा है जल्द ही साइबर थाने संचालित होंगे. वहीं, इसके लिए स्टाफ का प्रशिक्षण भी जारी है. आईजी रूपिंदर सिंघ ने माना कि ठग नए-नए तरीके से वारदात को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस उच्च स्तर पर इन्वेस्टिगेशन करने में सक्षम नहीं है. साइबर थानों की प्रशिक्षित टीम इसको इन्वेस्टिगेशन कर पाएगी. उन्होंने बताया कि साइबर थाने बनने के बाद भी सामान्य थानों में भी प्रकरण दर्ज होंगे जो बाद में साइबर थाने को स्थानांतरित किए जाएंगे.
पर्सनल फोटो सोशल मीडिया पर न डालें: बढ़ते साइबर क्राइम के लिए आमजन को भी जागरूक रहने की आईजी रूपिंदर सिंघ ने सलाह दी है. उन्होंने कहा कि बेलगाम इंटरनेट का उपयोग आवश्यकता अनुसार ही करना चाहिए. इंटरनेट पर कई तरह की सोशल साइट्स है. सोशल साइट्स पर लोग अपने पर्सनल फोटो भी शेयर करते हैं. जरूरत न हो तो पर्सनल फोटोज सोशल मीडिया पर नहीं डालने चाहिए. शातिर इन फोटोज का दुरुपयोग करते हैं.
1903 का करें उपयोग लोग: आईजी रूपिंदर सिंघ ने कहा कि शातिर बदमाशों ने ऑनलाइन ठगी के नए-नए तरीके खोज लिए हैं. इसके माध्यम से शातिर लोगों के बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं. उन्होंने बताया कि कई लोगों को तो कई दिनों बाद पता चलता है कि बैंक खाते से पैसे निकल चुके हैं और फिर वह थाने आते हैं. उन्होंने बताया कि पैसा निकलते ही लोग तुरंत 1903 पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. इससे पैसा ट्रांसफर होने में रुकावट आती है और पैसा वापस मिलने की उम्मीद भी बढ़ जाती है. इसके लिए लोगों को सतर्क रहना चाहिए. उन्होंने बताया कि जिलेवार साइबर पुलिस थाने खोले जाने की दिशा में भी काम हो रहा है. थानों के लिए प्रशिक्षित स्टाफ तैयार किया जा रहा है.