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बीकानेर के प्रधानाध्यापक ने आपदा को अवसर में बदलने का किया नवाचार, देखें स्पेशल रिपोर्ट...

कोरोना के चलते हर चीज के साथ ही उद्योग व्यापार और दैनिक जनजीवन प्रभावित हुआ है. वहीं शिक्षा व्यवस्था पर भी इसका खासा असर पड़ा है और यही कारण है कि अभी तक स्कूल और कॉलेज बंद हैं. लेकिन बीकानेर में एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कोरोना काल को आपदा से अवसर में बदलते हुए नवाचार किया है. देखिए यह खास रिपोर्ट...

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टीचर ने कर दी स्कूल की कायापलटटीचर ने कर दी स्कूल की कायापलट

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Published : Oct 17, 2020, 7:48 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 6:25 PM IST

बीकानेर.कोरोना ने देश दुनिया को बुरी तरह से प्रभावित किया और औद्योगिक इकाइयों के साथ ही रोजगार के साधनों पर भी खासा असर पड़ा है. लेकिन कोरोना के चलते शिक्षण व्यवस्था का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई आने वाले समय में भी बड़ी मुश्किल से होगी. कोरोना के चलते आज तक स्कूल और कॉलेज बंद हैं.

टीचर ने किया स्कूल का कायापलट

कोरोना की आपदा को हर किसी ने अपने हिसाब से झेला है. लेकिन आपदा को अवसर में बदलने का नवाचार बीकानेर की एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने किया है. बीकानेर के शीतला गेट स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक लालचंद हटीला ने स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या कम होने और लोगों का रुझान सरकारी विद्यालय की ओर नहीं होने के कारण एक नवाचार किया. इसके साथ ही वर्तमान में जब स्कूल में विद्यार्थी नहीं आ रहे हैं तो स्कूल की कायापलट करने की ठानी.

बदल दी स्कूल की दशा और दिशा

निजी स्कूलों में मिलने वाले माहौल की तर्ज पर सरकारी स्कूल में भी पढ़ाई के माहौल को तैयार करने के साथ ही जर्जर स्कूल की मरम्मत और रंग रोगन पुताई के साथ ही स्कूल की दीवारों पर पेंटिंग के साथ ही पढ़ाई करने का माहौल तैयार करने का बीड़ा उठाया. स्कूल के मुख्य द्वार और दीवार शानदार आकर्षक पेंटिंग के साथ ही स्कूल की दीवारों पर सफेद पुताई के बाद अंग्रेजी वर्णमाला और हिंदी के शब्दों को बच्चों के समझ के अनुसार लिखने का काम शुरू किया.

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प्रधानाध्यापक लालचंद हटीला कहते हैं कि वह खुद फाइन आर्ट के स्टूडेंट रह चुके है और ड्राइंग जानते हैं इसलिए अपनी कला का लाभ उठाते हुए स्कूल को नए रूप और रंग में करने के साथ ही न जर्जर से व्यवस्थित करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि अभी तक मैंने स्कूल की किसी भी स्टाफ से इसको लेकर कोई सहयोग नहीं लिया है. लेकिन जब सरकार हमें इतनी तनख्वाह हर महीने देती है तो कुछ योगदान हम अपनी जेब से भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब मैंने अपने पूरे स्टाफ के साथ इस तरह का बीड़ा उठाया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इससे स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी. इसके चलते भविष्य में स्कूल के मर्ज होने और पदों के समायोजित होने का डर भी नहीं रहेगा.

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शीतला गेट क्षेत्र के आसपास साक्षरता दर कम है. ऐसे में सरकारी स्कूल में मिले इस माहौल से लोगों में भी काफी उत्साह है. वहीं बच्चे भी अब स्कूल को देखकर खुश नजर आते हैं. हटीला कहते हैं कि वे खुद लोगों से संपर्क कर बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं और इस काम में पूरा स्टाफ भी उनका सहयोग कर रहा है. वहीं मोहल्ले के लोग भी नवाचार से खुश है और अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजने की बात कहते हैं. कुल मिलाकर एक सरकारी स्कूल में हुए इस नवाचार के बाद जिले के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए भी एक मिसाल बन गई है.

Last Updated : Oct 28, 2020, 6:25 PM IST

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