जयपुर.राजधानी जयपुर लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें है. भाजपा ने इस सीट पर अपने मौजूदा सांसद रामचरण बोहरा पर एकबार फिर दांव खेला है. रामचरण बोहरा भी कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल से लोहा लेने के लिए चुनाव मैदान में जोर-शोर से जुटे हैं. पिछले चुनाव में 5 लाख 39 हजार 345 वोटों से जीतने वाले बोहरा के चुनावी प्रचार में इस बार विकास से ज्यादा पीएम मोदी के नाम और काम का सहारा लिया जा रहा है. तो वहीं बयानों में अपनी जीत को आश्वस्त दिखने वाले बोहरा चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं के साथ ही भगवान की शरण में दिखते हैं. कैसा है बोहरा का चुनावी प्रचार और क्या है उनके क्षेत्र की जनता का मिजाज. जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम चुनावी शोरगुल के बीच रही एक दिन उनके साथ.
रामचरण बोहरा का नाम उन टॉप 5 नेताओं में शुमार है. जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में 5 लाख सेअधिक मतों से जीत हासिल की थी. जीत बड़ी थी लिहाजा इस चुनाव में उसे बरकरार रखने की भी चुनौती भी बोहरा के सामने है. इसके लिए वो चुनाव प्रचार में अपना खूब पसीना भी बहा रहे है.
रामचरण बोहरा का राजनीतिक करियर
बोहरा के चुनाव प्रचार पर बात करने से पहले बोहरा के राजनीतिक कैरियर पर भी एक बार नजर डाल लेते हैं. साल 1995 से 2000 तक जिला प्रमुख और साल 2014 से जयपुर के सांसद रहे. बोहरा संघ विचारधारा से जुड़े नेता है. जो 1977 में जनता दल और 1980 से भाजपा से जुड़े. संगठन में साल 2000 से 2004 तक जयपुर देहात अध्यक्ष और उसके बाद भाजपा में प्रदेश मंत्री और महामंत्री का दायित्व संभाल चुके बोहरा राजनीति में लो प्रोफाइल नेता के रूप में अपनी पहचान रखते है. बोहरा के परिवार में उनकी पत्नी और उनके 2 बेटे राहुल और अक्षय है. बोहरा के पुत्र राजनीति से दूर है. लेकिन, इस चुनाव में ना केवल बोहरा बल्कि उनका पूरा परिवार ही चुनाव प्रचार में जुटा हैं. हालांकि इस चुनाव में जितना पसीना बोहरा बहा रहे हैं उतना अब तक उन्होंने कभी नहीं बहाया होगा. यहीं कारण है इस चुनाव में बोहरा इतने व्यस्त है कि उन्हें 24 घंटे में वो ढाई से चार घंटे ही नींद निकाल पाते है.
चुनावी माहौल में बोहरा की दिनचर्चा
इन दिनों बोहरा सुबह 4 बजे उठ जाते है और नहाकर सीधे भगवान की शरण में चले जाते है यानी पूजा करने में व्यस्त हो जाते है. बोहरा सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए भी जाते हैं. लेकिन, इन दिनों चुनाव की व्यस्तता के चलते मॉर्निंग वॉक छूट गई है. अब आलम यह है कि मॉर्निंग वॉक भी चुनाव प्रचार के लिए होता है और ऐसे में बोहरा चुनाव प्रचार के अपने रोजाना के निर्धारित कार्यक्रम में निकल जाते हैं. चुनाव प्रचार जिस भी क्षेत्र में किया जाना है. वहां के प्रमुख मंदिर में पहले बोहरा भगवान का आशीर्वाद जरूर लेते हैं.
मंदिर से शुरू होता है बोहरा का चुनाव प्रचार
अपनी जीत की प्रार्थना करने के बाद बोहरा मंदिर में ही चुनाव प्रचार करने में जुट जाते है. इसके लिए मंदिर में मौजूद मतदाताओं को वो अपने तरीके से रिझाते है. बड़ों से आशीर्वाद लेकर तो छोटे बच्चों को गोदी में लेकर उनके माता-पिता से भी समर्थन मांगने की बोहरा की अपनी कला है. वहीं प्रचार जिस विधानसभा में होना है. वहां के स्थानीय भाजपा विधायक या विधायक प्रत्याशी के आने पर ही वो अपने प्रचार का कारवां आगे बढ़ाते है. वहीं मंदिर में आकर प्रचार अभियान की शुरुआत करने के पीछे वो हार का डर नहीं बल्कि भगवान में अपनी आस्था बताते है और अपनी जीत को लेकर आश्वस्त भी बताते है.
पैदल घूम-घूम कर मांगते हैं वोट
प्रचार जनता से वोट की अपील के लिए है लिहाजा बोहरा आबादी वाले इलाके में पैदल ही घूम कर वोट मांगते हैं. तो वहीं जैसा मतदाता वैसे ही बोहरा का प्रचार का तरीका हो जाता है. प्रचार के दौरान चाहे किराने का सामान बेचने वाला दुकानदार हो या फूल माला बेचने वाले लोगों के पास पहुंचकर वोट की अपील करते हैं और उन्हें हाथों-हाथ भाजपा की टोपी और दुपट्टा डालने से भी नहीं चूकते ताकि मतदाता भी भाजपा के रंग में रंग जाए. जयपुर में दूसरे चरण के तहत 6 मई को वोट डाले जाएंगे. बोहरा के पास समय कम है इसलिए प्रचार के दौरान वह प्रचार रथनुमा बनी कई गाड़ियां साथ रखते है. तो वहीं बोहरा के प्रचार के कारवां के आगे ढोल बजाने वाले और लाउडस्पीकर से प्रचार करने वाले भी साथ साथ चलते हैं. भाजपा का हेलमेट और भाजपा के रंग बिरंगे कपड़े पहन कर मोटरसाइकिल चालक भी बीजेपी का झंडा लेकर उनके चुनाव प्रचार के आगे आगे चलते नजर आते हैं. मतलब प्रचार का पूरा तामझाम बोहरा अपने साथ लेकर चलते हैं.
एक दिन भाजपा प्रत्याशी रामचरण बोहरा के साथ बोहरा के चुनाव प्रचार में छाया है मोदी और भगवा रंग
प्रचार के दौरान मतदाताओं को माला पहनाना बोहरा की आदत में शुमार है. लेकिन हर दूसरे चौराहे पर बोहरा पर फूल बरसाना भाजपा कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है और यह भाजपा नेता और कार्यकर्ता इसे बखूबी निभाते भी है. यहीं कारण है कि वह जब प्रचार के लिए निकलते हैं तो हर एक गली के नुक्कड़ पर उनके स्वागत का कार्यक्रम पहले से तय होता है. कोई फूल बरसाकर तो कोई उन्हें साफा और दुपट्टा पहनाकर उनका इस्तकबाल करते हैं. हालांकि चुनाव प्रचार में उनके साथ चलने वाले भाजपा नेता और कार्यकर्ता इस तमाम प्रचार को तय करते हैं. इसमें बोहरा को पैदल भी चलना होता है. लेकिन थक जाए तो उनके पीछे चल रही है गाड़ियों में सवार होकर भी बोहरा प्रचार करने से नहीं चूकते और जब थकान ज्यादा हो जाए तो फिर मोहरा ब्रेक भी ले लेते हैं. वहीं मौजूद भाजपा नेता या कार्यकर्ता के घर 15 से 20 मिनट आराम फरमा कर फिर सैकंड फेज के प्रचार में निकल पड़ते हैं. दूसरे चरण का प्रचार भी मंदिर में दर्शन के बाद शुरू होता है. यकीन नहीं होता तो आप खुद ही देख लीजिए और सुन लीजिए क्या कहते हैं रामचरण बोहरा.
बोहरा के लिए जीत का मंत्र 'मोदी'
प्रचार के दौरान बोहरा की जुबा पर मोदी मोदी और बस मोदी के ही गुणगान होते हैं. मतलब विकास का मुद्दा इस चुनाव में गौण हो चुका है और मोदी के नाम पर ही वोट मांगे जा रहे हैं. वहीं मुस्लिम बहुल इलाकों में बोहरा प्रचार करते हुए निकल जाते हैं. हर नेता का प्रचार का अपना तरीका होता है. लेकिन भाजपा के भीतर कार्यकर्ताओं को रामचरण बोहरा में क्या खूबी नजर आती है. कुछ कार्यकर्ता कहते हैं की बोहरा लो प्रोफाइल नेता है. जो कार्यकर्ताओं के लिहाज से सबसे मुनासिब माने जाते हैं. तो ही कुछ भाजपा नेता व कार्यकर्ता ऐसे हैं जिन्हें बोहरा से नहीं बल्कि पीएम मोदी से ज्यादा वास्ता है.
जानिए क्या सोचती है बोहरा के बारे में जनता
मतदाता खुलकर बताते हैं साथ ही यह कहने में भी उन्हें हिचक नहीं कि चुनाव लोकल कैंडिडेट का नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री का है. लिहाजा वह बोहरा को नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी को ध्यान में रखते हैं. वहीं कुछ मतदाता तो यह भी कहते हैं की चुनाव के समय ही राज नेता उनके पास आते हैं जबकि 5 साल नजर नहीं आते.
चुनाव प्रचार का नया दौर 4 मई तक जारी रहेगा. 6 मई को मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जिसके बाद इन प्रत्याशियों का सियासी भविष्य ईवीएम में बंद हो जाएगा. ऐसे में चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि भाजपा के प्रत्याशी की मेहनत कितनी सफल होती है.